वजह क्या थी !!
मिसाल कोई मिलेगी
उजडी बहार में भी
उस पत्ते सी,
जो पेड़ की शाख में
अपनी हरितिमा लिये डटा है
अब भी।
हवाओं की पुरजोर कोशिश
उसे उडा ले चले संग अपने
कहीं खाक में मिला दे ,
पर वो जुडा था पेड के स्नेह से,
डटा रहता हर सितम सह कर
पर यकायक वो वहां से
टूट कर उड चला हवाओं के संग,
वजह क्या थी ?
क्योंकि पेड़ बोल पड़ा उस दिन
मैने तो प्यार से पाला तुम्हे,
क्यों यहां शान से इतराते हो
मेरे उजड़े हालात का उपहास उड़ाते हो,
पत्ता कुछ कह न पाया
शर्म से बस अपना बसेरा छोड़ चला,
वो अब भी पेड के कदमों में लिपटा है,
पर अब वो सूखा बेरौनक हो गया
साथ के सूखे पुराने पत्तों जैसा
उदास,
पेड की शाख पर वह
कितना रूमानी था ।
कुसुम कोठारी।
बहुत सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी आपको ।
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना सखी
ReplyDeleteबहुत सा आभार सखी ।
Deleteवाह! बहन कुसुम - आपकी दिव्य दृष्टि को नमन करती हूँ | पत्ते का पेड़ से शाश्वत स्नेह जो शाख से टूटकर भी मिट ना सका |टूटकर बेरौनक होकर भी लिपट गया उसी के कदमों से | बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा सिमटी है छोटी सी रचना में | ऐसा विषय रचना में आप ही ढाल सकतती हैं | सस्नेह आभार और शुभकामनायें एक रोचक सृजन के लिए |
ReplyDeleteरेनू बहन नमन नही सिर्फ स्नेह देते रहिए, आपकी उदारता है जो इतना सम्मान देते हो, और सुंदरता से रचना का सार भी स्पष्ट करते आपके बहुमूल्य शब्द मुझे अच्छा लिखने की प्रेरणा देते हैं,और विविध विषयों पर लिखने को उत्साहित करते हैं आपका समान आभार बहन।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २२ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर।
Deleteइसे ही तो हौसला कहते हैं
ReplyDeleteजी सादर आभार ।
Deleteब्लॉग पर सदा आपका स्वागत है ।
बहुत साई बातों में जब वजह कोई नहीं होती ... प्रेम तो होता ही है ... फिर जहाँ प्रेम बाई कोई और वजह क्या ढूँढनी ...
ReplyDeleteजी सादर आभार, सकारात्मक प्रतिक्रिया सदा उत्साहित करती है।
Deleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
९ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
नेह भाव में रचा बसा पत्ता स्वर्णिम अतीत के साथ पेड से जुदा नहीं होने को प्रतिबद्ध है। भावपूर्ण काव्य चित्र प्रिय कुसुम बहन 👌👌👌हार्दिक शुभकामनायें , दुबारा आपकी ये रचना पढ़कर अच्छा लग रहा है 🙏🙏🙏
ReplyDeleteवाह!!कुसुम जी ,बेहतरीन !!
ReplyDeleteभावपूर्ण सृजन ,सादर नमन
ReplyDeleteअपनों की दुत्कार से दुखी पत्ता टूटकर बिखर गया...दूर जा न सका पास रहने न दिया... बहुत ही भावपूर्ण हृदयस्पर्शी सृजन
ReplyDeleteवाह!!!