मुस्कान के मोती
जब दिल की मुंडेर पर
अस्त होता सूरज आ बैठता है
श्वासों में कुछ मचलता है
कुछ यादें छा जाती,
सुरमई सांझ बन
जहाँ हल्का धुंधलका
हल्की रोशनी
कुछ उड़ते बादल मस्ती में
डोलते मनोभावों जैसे
हवाके झोंके
सोया एहसास जगाते
होले होले बेकरारियों को
थपकी दे सुलाते
मन गगन पर वो उठता चांद
रोशनी से पूरा आंगन जगमगा देता
मन दहलीज पर
मोती चमकता मुस्कान का
फिर नये ख्वाब लेते अंगड़ाई
होले - होले
जब दिल की.........
कुसुम कोठारी ।
जब दिल की मुंडेर पर
अस्त होता सूरज आ बैठता है
श्वासों में कुछ मचलता है
कुछ यादें छा जाती,
सुरमई सांझ बन
जहाँ हल्का धुंधलका
हल्की रोशनी
कुछ उड़ते बादल मस्ती में
डोलते मनोभावों जैसे
हवाके झोंके
सोया एहसास जगाते
होले होले बेकरारियों को
थपकी दे सुलाते
मन गगन पर वो उठता चांद
रोशनी से पूरा आंगन जगमगा देता
मन दहलीज पर
मोती चमकता मुस्कान का
फिर नये ख्वाब लेते अंगड़ाई
होले - होले
जब दिल की.........
कुसुम कोठारी ।
बहुत खूबसूरत मुस्कान के मोती बिखेरे आपने सखी बेहद मनभावन रचना
ReplyDeleteबहुत सा आभार सखी।
Deleteयादें आती हैं तो बहुत कुछ स्वतः ले आती हैं ..
ReplyDeleteमुस्कान भी ऐसी ही कुछ है ... बहुत सुन्दर रचना ...
सरस प्रतिक्रिया का बहुत सा आभार दिगम्बर जी आपकी सार्थक सराहना के लिये सदा अनुग्रहित रहूंगी।
Deleteसादर।
सुखद अहसास को बखूबी शब्द दे दिये हैं आपने.
ReplyDeleteहद पार इश्क
बहुत बहुत आभार रोहितास जी, आप की प्रबुद्ध उपस्थिति उत्साह वर्धन करती है।
Deleteबेहतरीन मुस्कान का महत्व .....👌👌👌👌👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीता ये एहसास की मुस्कान है ।
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