भावों के मोती
भावों के मोती जब बिखरे
मन की वसुधा हुई सुहागिन
आज मचलती मसी बिखेरे
माणिक मुक्ता नीलम हीरे
नवल दुल्हनिया लक्षणा की
ठुमक रही है धीरे-धीरे
लहरों के आलोडन जैसे
हुई लेखनी भी उन्मागिन।।
जड़ में चेतन भरने वाली
कविता हो ज्यों सुंदर बाला
अलंकार से मण्डित सजनी
स्वर्ण मेखला पहने माला
शब्दों से श्रृंगार सजा कर
निखर उठी है कोई भागिन।
झरने की धारा में बहती
मधुर रागिनी अति मन भावन
सुभगा के तन लिपटी साड़ी
किरणें चमक रही है दावन
वीण स्वरों को सुनकर कोई
नाच रही लहरा कर नागिन।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-05-2022) को चर्चा मंच नाम में क्या रखा है? (चर्चा अंक-4420) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
हृदय तल से आभार आपका आदरणीय।
Deleteमैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteआपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
वाह
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteरचना सार्थक हुई।
सादर।
भावों के अति सुंदर मोती बिखेरे हैं आपने!
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका अनिता जी आपके शब्दों ने अभिभूत कर दिया।
Deleteसस्नेह।
वाह! बहुत बढ़िया कुसुम दी जी भावों की लड़ी का लाज़वाब सृजन।
ReplyDeleteजड़ में चेतन भरने वाली
कविता हो ज्यों सुंदर बाला
अलंकार से मण्डित सजनी
स्वर्ण मेखला पहने माला
शब्दों से श्रृंगार सजा कर
निखर उठी है कोई भागिन... वाह!
सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
Deleteसस्नेह।
बहुत बहुत सुन्दर मधुर रचना
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका अलोक जी , उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया आपकी ।
Deleteबहुत सुंदर रचना...क्या बात कही है आपने कुसुम जी कि..जड़ में चेतन भरने वाली
ReplyDeleteकविता हो ज्यों सुंदर बाला
अलंकार से मण्डित सजनी
स्वर्ण मेखला पहने माला
शब्दों से श्रृंगार सजा कर
निखर उठी है कोई भागिन।...आचार्य चतुरसेन अपने उपन्यासों में ऐसे ही रूपों का वर्णन करते रहे हैं...वाह
अहा! आपको भी आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लेखन लुभाता रहा है।
Deleteअलकनंदा जी आपकी सार्थक सक्रिय प्रतिक्रिया का सदैव इंतजार रहता है।
सस्नेह आभार आपका इतनी मोहक प्रतिक्रिया के लिए।
सस्नेह।
बहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteप्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
सादर।
झरने की धारा में बहती
ReplyDeleteमधुर रागिनी अति मन भावन
बहुत सुंदर रचना
जी हृदय से आभार आपका मनोज जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
सादर।
बेहद खूबसूरत।
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका यशपथ जी।
Deleteब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।