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Sunday, 8 May 2022

सुधी सवैया के दो सृजन


 सुधी सवैया दो रचना भावार्थ सहित।


चाँद और उद्धाम लहरें


उतंग तरंग नदीश हिय में, प्रवात प्रवाह बहाता बली।

अधीर हिलोर कगार तक आ, पुकार सुधांशु उठी वो चली।

चढ़े गिरती हर बार उठती, रहे जलधाम सदा श्यामली।

पयोधि कहे प्रिय उर्मि सुनना, कलानिधि है छलिया ज्यों छली।।


सागर की सीख लहर को


तुम्ही सरला नित दौड़ पड़ती, छुने उस चन्द्र कला को चली।

न हाथ कभी लगता कुछ तुम्हें, तपी विरहा फिर पीड़ा जली।

प्रवास सदा मम अंतस रहो, बसो तनुजा हिय मेरे पली।

न दुर्लभ की मन चाह रखना, मयंक छुपे शशिकांता ढली ।।


भावार्थ:-

पूर्णिमा और अमावस्या के आसपास सागर में लहरें कुछ ज्यादा ही तेज और ऊंची होती है । ये दो रचना शुक्ल पक्ष के चांद और लहरों की उद्वेलन को आधार रख लिखी गई है।


सागर के हृदय में ऊँची लहरें उठ रही है, तेज वायु प्रवाह को और बलवान कर रही है।

लहरें अधीर होकर किनारों की और आती है और सुधाँशु यानि चाँद को पुकार कर कहती है कि वो आ रही है अपने चाँद के पास।

चढ़ती हैं फिर गिर जाती हैं हर बार वो श्यामल लहरें सदा समुद्र में ही रह जाती हैं।

सागर कहता है हे प्रिय उर्मि सुन कलानिधि (चंद्रमा तो सदा का छलिया है छली ही उसका नाम होना चाहिए।


दूसरा सवैया

तुम तो सरला हो सरल मन की मोह वश उस चंद्रकला को छुने के लिए दौड़ पड़ती हो।

पर तुम्हारे हाथ कुछ भी तो नहीं आता बस विरह की पीड़ा में तपती हो जलती हो। 

तुम सदा मेरे अंतस में रहो, मेरी प्रिय पूत्री मेरे हृदय में पली हो तुम।

कभी भी दुर्लभ की कामना मन में नहीं करो, सुनो जैसे ही चाँद ढलेगा शशिकांता (चाँदनी) भी ढल जाएगी जिस को देख तुम सम्मोहित हो।

कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

17 comments:

  1. अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया।

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    1. जी हृदय से आभार आपका आपने पूरे सृजन को गहन अध्ययन से परखा।
      सादर।

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  2. सुधी सवैया पर बेहतरीन सृजन सखी 👌👌

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    1. हृदय से आभार आपका सखी।
      आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १० मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. हृदय से आभार आपका, पाँच लिंकों पर आना सुखानुभूति है सदा सदैव।
      सादर सस्नेह।

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  4. अति उत्तम ,भावार्थ देने से समझने में आसानी हुई |

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    1. मैं अभिभूत हूँ आपने रचना को पूरा समय दिया और पसंद किया।
      सादर आभार आपका।

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  5. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. हृदय से आभार आपका आलोक जी।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  6. वाह सुंदर सवैया, सुंदर प्रस्तुति।
    बहुत बधाई सुंदर रचना के लिए।

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    1. सस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  7. बहुत सुंदर सृजन । समुद्र का यूँ समझना मन को भा गया ।

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  8. सस्नेह आभार आपका भारती जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
    सस्नेह।

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  9. सादर आभार आपका आदरणीय संगीता जी।
    आपने रचना को समय दिया पसंद किया।
    सादर सस्नेह।

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  10. गज़ब के सवैया छंद ...
    आपकी लेखनी कमाल करती है हमेशा ... नवीन सृजन करती है ...

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    1. जी आपकी समृद्ध प्रतिक्रिया लेखन का प्रतिदान है, मैं सदैव अभिभूत हूं।
      सादर आभार आपका।

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