Followers

Thursday, 26 May 2022

अमलतास की शोभा


 अमलतास की शोभा


पीत वर्णी पुष्प दल से

वृक्ष दल शोभित भले

रम्य मोहक रूप मंजुल

काँति पट दीपक जले।


ग्रीष्म ऋतु में मुस्कुराते

सूर्य सी आभा झरे

जब चले लू के थपेड़े

आँख शीतलता भरे

राह चलते राहगीर को

धूप में पंखा झले।।


अंग औषधि का खजाना

व्याधिघाती धर्म है

सुनहरी फूहार पादप

और कितने मर्म है

देव नगरी सी अनुपमा

छाँव इसके ही तले।।


स्वर्ण झूमें शाख शाखा

भूषणों का चाव है

पात तक जब छोड़ते

रुक्ष मौसम घाव है

तब तुम्हीं श्रृंगार करते

हो भ्रमित मधुकर छले।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

30 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२७-०५-२०२२ ) को
    'विश्वास,अविश्वास के रंगों से गुदे अनगिनत पत्र'(चर्चा अंक-४४४३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

      Delete
  2. अहा! पीतवर्ण से सुशोभित अमल्तास पर अभिनव सृजन प्रिय कुसुम बहन।निश्चित रूप से अमताश भी इतरा कर आत्म मद में चूर हो झूम उठे ये प्रशस्ति गान सुनकर 👌👌बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस मधुर रचना के लिए 🙏🌺🌺♥️♥️

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपके अहा! ने जैसे शाबाशी दी है सृजन को, रेणु बहन लेखन सार्थक हुआ आपकी उत्साहवर्धक व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से।
      सस्नेह आभार आपका।

      Delete
  3. ग्रीष्म ऋतु में मुस्कुराते

    सूर्य सी आभा झरे

    जब चले लू के थपेड़े

    आँख शीतलता भरे

    राह चलते राहगीर को

    धूप में पंखा झले।।,,, बहुत सुंदर रचना,गर्मी में शीतलता प्रदान करने वाले सुंदर पौधे ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

      Delete
  4. Replies
    1. सादर आभार आपका आदरणीय दी।
      उत्साह वर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
      सादर।

      Delete
  5. बहुत बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया।
      सादर।

      Delete
  6. अंग औषधि का खजाना

    व्याधिघाती धर्म है

    सुनहरी फूहार पादप

    और कितने मर्म है

    देव नगरी सी अनुपमा

    छाँव इसके ही तले।।

    ग्रीष्म में खिलना तो विशेषता है ही अमलतास की...लेकिन इसके औषधीय गुणों पर भी प्रकाश डालती बहुत ही अद्भुत एवं लाजवाब कृति ।
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपने रचना को पूरा स्नेह दिया सुधा जी ।
      सच लेखन सार्थक हुआ।
      हृदय से आभार आपका।
      सस्नेह।

      Delete
  7. बहुत सुंदर रचना
    वाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

      Delete
  8. अमलतास सच सुकून देने वाला है । बहुत सुंदर सृजन ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  9. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए ।
      सादर।

      Delete
  10. अति सुन्दर शब्द शिल्प में गूंथा हुआ नव अन्वेषी सौन्दर्य अप्रतिम है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी मोहक प्रतिक्रिया रचना के लिए नव ऊर्जा है।
      हृदय से आभार आपका।
      सस्नेह।

      Delete
  11. ग्रीष्म ऋतु में मुस्कुराते

    सूर्य सी आभा झरे

    जब चले लू के थपेड़े

    आँख शीतलता भरे

    राह चलते राहगीर को

    धूप में पंखा झले।।

    सच, इस तपती गर्मी में अमलतास के पीले फूल आंखों को शीतलता प्रदान करते हैं, प्रकृति पर तो आपकी लेखनी का जवाब नहीं कुसुम जी 🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी सुंदर व्याख्यात्मक ,भावों को विस्तार देती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सहृदय आभार आपका।
      सस्नेह।

      Delete
  12. बहुत सुंदर सृजन ।
    मैंने भी अमलतास पर कुछ पंक्तियां लिखीं हैं आपकी उत्कृष्ट रचना को समर्पित हैं...
    अमलतासी टहनियों से,
    लटकती है वल्लरी
    चूमते अधरों को कुमकुम,
    केसरी नव रसभरी
    कोंपलें खिलने लगीं
    जो थीं अभी तक शीतमय ॥

    बैठ जाओ
    पास मेरे
    हो गई हूँ गीतमय ॥

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी काव्यात्मक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      बहुत बहुत सुंदर सृजन जिज्ञासा जी आपने तो श्रृंगार को श्रृंगारित कर दिया ।
      सस्नेह।

      Delete
  13. अमलतास पर बहुत सुंदर सृजन, कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका ज्योति बहन उत्साह वर्धन के लिए।
      सस्नेह।

      Delete
  14. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 मई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  15. अमलतास की शोभा निराली है। अति सुन्दर कृति।

    ReplyDelete
  16. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete