समय पाहुना
सुखद पल सलौने सपन तोड़ सोये।
लिखे छंद कोरे मसी में भिगोये।
घड़ी दो घड़ी मेघ काले भयानक
तड़ित रेख हिय पर गिरी है अचानक।
बहे कोर तक स्रोत उपधान धोये।।
सुना दर्द का मोल किसने न माना।
गई बात मुख से लुटा ज्यों खजाना।
कहीं ठेस खाकर गिरे पर न रोये।।
व्यथा की हवेली अड़ी सी खड़ी हैं।
खुशी की तिजोरी दुखों से जड़ी हैं।
समय पाहुना भी कई राह खोये।।
मचलती रही मीन जल उड़ चला था।
रहित जल नदी एक पोखर भला था।
गले रुंधते से दृगों ने छुपोये।।
कुसुम कोठारी "प्रज्ञा"
सुना दर्द का मोल किसने न माना।
ReplyDeleteगई बात मुख से लुटा ज्यों खजाना।
कहीं ठेस खाकर गिरे पर न रोये।।
व्यथा की हवेली अड़ी सी खड़ी हैं।
खुशी की तिजोरी दुखों से जड़ी हैं।
समय पाहुना भी कई राह खोये।।
वाह ,अति उत्तम ,हार्दिक बधाई हो इस खूबसूरत रचना के लिए कुसुम जी, आप बहुत ही अच्छा लिखती है,बार बार पढ़ती जा रही हूँ,सोच रही हूँ क्या कहूँ, सादर नमन
मैं अभिभूत हूं,सस्नेह आभार आपका, इतनी मोहक प्रतिक्रिया से मैं और लेखन दोनों धन्य हुए ।
Deleteसदा स्नेह बनाए रखें
सस्नेह।
बहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteजी आदरणीय बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर।
घड़ी दो घड़ी मेघ काले भयानक
ReplyDeleteतड़ित रेख हिय पर गिरी है अचानक।
बहे कोर तक स्रोत उपधान धोये।।
...बहुत ही सुंदर चिंतन रचना। हमेशा की तरह लाजवाब। ।।।।
बहुत बहुत आभार आपका आपकी सुंदर जड़ाऊ प्रतिक्रिया से रचना को नव प्रवाह मिला।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर् और सशक्त गीत रचना।
ReplyDeleteजी आदरणीय आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसादर।
वाह!गज़ब 👌
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत स्नेह आभार।
Deleteसस्नेह।
सुखद पल सलौने सपन तोड़ सोये।
ReplyDeleteलिखे छंद कोरे मसी में भिगोये।
अति सुन्दर सृजन कुसुम जी।
बहुत बहुत सा स्नेह आभार आपका मीना जी आपकी उपस्थिति नव उर्जा का संचार करती है। सस्नेह।
Deleteसमय पर इतनी अच्छी पंक्तियां पढ़कर इस पाहुना के हर पल का स्वागत करने को जी चाहता है कुसुम जी...वाह व्यथा की हवेली अड़ी सी खड़ी हैं।
ReplyDeleteखुशी की तिजोरी दुखों से जड़ी हैं।
समय पाहुना भी कई राह खोये।।
...अद्भुत
बहुत बहुत आभार आपका अलकनंदा जी आपकी मुग्ध करती टिप्पणी से मन प्रसन्न हुआ साथ ही लेखन को नव उर्जा मिली।
Deleteसस्नेह।
पूरी रचना ही मन को आनंदित कर रही है, हर पंक्ति बड़ी सुंदर और भावपूर्ण है,सुंदर सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से सृजन मुखरित हुआ।।
Deleteसस्नेह।
जी बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteये हमारे लिए हर्ष और सौभाग्य का विषय है।
सादर।
बहुत बहुत आभार आपका रचना को गतिमान करती प्रतिक्रिया।
ReplyDeleteसादर।
व्यथा भी कितनी खूबसूरती से लिखी जा सकती है ये इस रचना को पढ़ कर पता चला । सुंदर अभिव्यक्ति ।
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