उल्लाला छंद 15/13
मानव ही सबसे श्रेष्ठ है, इस जगती की शान वो ।
यदि करता हो सतकर्म तो मानवता की आन वो।।
बंधन बांधो अब प्रेम के, मन में सुंदर भाव हो ।
जीवन को मानो युद्ध पर, जीने का भी चाव हो।।
लो होली आई रंग ले, बीता फाल्गुन मास भी ।
जी भरकर खेलो फाग सब, बाँधों मन में आस भी।।
गंगा सी निर्मल मन सरित, अनुरागी हो भावना।
सब के हिय में उल्लास हो, ऐसी मंजुल चाहना।।
जब उपवन करुणा का खिले, पावन होते योग हैं।
खिलती कलियाँ मन बाग में, मिटते सारे रोग हैं ।।
कुसुम कोठारी "प्रज्ञा"
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteसार्थक और भावप्रवण ग़ज़ल।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय ।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१०-०४-२०२१) को 'एक चोट की मन:स्थिति में ...'(चर्चा अंक- ४०३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत बहुत आभार आपका रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए ।
Deleteमैं उपस्थित रहूंगी।सादर सस्नेह।
बंधन बांधो अब प्रेम के, मन में सुंदर भाव हो ।
ReplyDeleteजीवन को मानो युद्ध पर, जीने का भी चाव हो
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब उल्लाला छन्द पर आधारित सृजन शुभ एवं प्रेममयी भावना के साथ...।
बहुत बहुत बधाई कुसुम जी उल्लाला छन्द में भी अग्रणी होने की।
सुधा जी आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ ।
Deleteआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा मेरा उत्साह वर्धन करती है ।
सस्नेह बहुत सा आभार।
सुंदर मन मोहक छंद, हर छंद सुंदर संदेशों से मढ़ा हुआ ,सादर नमन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी भावों के मर्म पर ध्यान देकर रचना को प्रवाह प्रदान किया।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह।
पावन और सुन्दर सत्य को प्रकट करता हुआ छंद अति सुन्दर है । हृदयंगम करने योग्य । हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से छंद जीवंत हो मुखरित हुए।
Deleteढेर सा स्नेह आभार आपका।
यूं ही नेह देते रहिए।
सस्नेह।
बहुत सुंदर सृजन सखी 👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteउर्जा देती प्रतिक्रिया।
गंगा सी निर्मल मन सरित, अनुरागी हो भावना।
ReplyDeleteसब के हिय में उल्लास हो, ऐसी मंजुल चाहना।।
लोक कल्याण के भाव से सजा मनमोहक छंद कुसुम जी । छंद सृजन के कौशल में दक्ष हैं आप ।
बहुत सा स्नेह मीना जी आपकी नेह वाणी सदा मेरे लेखन के लिए अमूल्य है।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी ।
सदा स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह।
जी बहुत बहुत आभार आपका।
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