अंधेेेरी रात में झील का सौंदर्य
घुप अंधेरी रातों दिखता
काला सा सरसी पानी।
तट पर प्रकाशित कुमकुमें लो
बनी आज देखो दानी।
समीर के मद्धिम बहाव में
झिलमिलाता नीर चंचल।
जैसे लहरा बंजारन का
तारों जड़ा नील अंचल।
अधीर अनंत उतरा क्षिति पर
छुप गया है इंद्र मानी।
हिरण्य झुमका हेमांगी का
मंजुल शुभ रत्न जड़ा है।
रात रूपसी रूप देखकर
जड़ होके समय खड़ा है।
है निसर्ग सौंदर्य बांटता
ज्ञान बांटता ज्यों ज्ञानी।।
दिशा सुंदरी चुप चुप लगती
मौन झरोखे बैठी है ।
गहन तमशा है शरवरी भी
मुंह मरोड़े ऐंठी है।
जीवन वापिका में मचलता
तम अचेत सा अभिमानी।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
हिरण्य झुमका हेमांगी का
ReplyDeleteमंजुल शुभ रत्न जड़ा है।
रात रूपसी रूप देखकर
जड़ होके समय खड़ा है।
है निसर्ग सौंदर्य बांटता
ज्ञान बांटता ज्यों ज्ञानी।।
वाह!!!
अद्भुत विम्बों से सजा बहुत लाजवाब नवगीत।
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी ,मोहक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteसस्नेह।
बहुत मनमोहक शब्द विन्यास और उतने ही सुन्दर भाव...अत्यंत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteढेर सा सरनेम आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साहवर्धक होती है।
Deleteस्नेह पढ़ें कृपया।
Deleteसमीर के मद्धिम बहाव में
ReplyDeleteझिलमिलाता नीर चंचल।
जैसे लहरा बंजारन का
तारों जड़ा नील अंचल।
अधीर अनंत उतरा क्षिति पर
छुप गया है इंद्र मानी।बेहद खूबसूरत नवगीत सखी।
बहुत बहुत आभार आपका सखी , उत्साह वर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर और सारगर्भित गीत।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय, उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 10 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर ।
मैं उपस्थित रहूंगी।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 9.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार चर्चा मंच पर जरूर उपस्थिति रहूंगी।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन ,सादर नमन कुसुम जी
ReplyDeleteबहुत बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसस्नेह।
क्ल्पना की अत्यंत ऊँची उड़ान, भावों के पंखों पर...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर ।
ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
शानदार..!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर।
ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
वाह!सुंदर शब्दों से सुसज्जित ,शानदार सृजन कुसुम जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत सा सरनेम आभार आपका शुभा जी ।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
रचना जैसे शब्दों से खेल रही है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ...
बहुत बहुत आभार आपका ,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसादर।
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteसादर