अब चल झटपट,मत कर खटपट, चल चल सरपट ,बक बक मत कर ; जप कर पथ भर,बम बम हर हर , मन मन प्रण कर ,छलबल तज कर। हृदय अमल कर,हर हर जप कर, पथ भर तप कर,बढ़ चल पथ पर; पग पग थम कर ,हरदम सह कर, नद जल भर कर,चल बम दर पर। नरेंद्र सिंह,अतरी,गया 25.04.2024
अब चल झटपट,मत कर खटपट, चल चल सरपट ,बक बक मत कर ; जप कर पथ भर,बम बम हर हर , मन मन प्रण कर ,छलबल तज कर। हृदय अमल कर,हर हर जप कर, पथ भर तप कर,बढ़ चल पथ पर; पग पग थम कर ,हरदम सह कर, नद जल भर कर,चल बम दर पर। नरेंद्र सिंह 25.04.2024
वाह! अद्भुत! कुसुम जी।
ReplyDeleteअद्भुत..अत्यन्त सुन्दर !!
ReplyDeleteक्या बात है ! बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह अद्भुत लेखन सखी।
ReplyDeleteसुन्दर घनाक्षरी।
ReplyDeleteबाबा नगरी की यात्रा पर छन्द
ReplyDelete2 .डमरू घनाक्षरी छन्द
अब चल झटपट,मत कर खटपट,
चल चल सरपट ,बक बक मत कर ;
जप कर पथ भर,बम बम हर हर ,
मन मन प्रण कर ,छलबल तज कर।
हृदय अमल कर,हर हर जप कर,
पथ भर तप कर,बढ़ चल पथ पर;
पग पग थम कर ,हरदम सह कर,
नद जल भर कर,चल बम दर पर।
नरेंद्र सिंह,अतरी,गया
25.04.2024
बाबा नगरी की यात्रा पर छन्द
ReplyDelete2 .डमरू घनाक्षरी छन्द
अब चल झटपट,मत कर खटपट,
चल चल सरपट ,बक बक मत कर ;
जप कर पथ भर,बम बम हर हर ,
मन मन प्रण कर ,छलबल तज कर।
हृदय अमल कर,हर हर जप कर,
पथ भर तप कर,बढ़ चल पथ पर;
पग पग थम कर ,हरदम सह कर,
नद जल भर कर,चल बम दर पर।
नरेंद्र सिंह
25.04.2024