युद्ध पर जाते सैनिकों के मनोभाव।
आओ साथियों दो घड़ी विश्राम कर लें ,
ठंडा गरम रोटी चावल जो मिले पेट भर लें ।
मंजिल दूर राह प्रस्तर हौसला बुलंद कर लें ,
मां का श्रृंगार न उजड़े ऐसा दृढ़ निश्चय करलें ।
कंधों पर दायित्व बड़े, राह में पर्वत खड़े ,
देश की रक्षा हित हो प्राण भी देना पड़े ।
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें,
आंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।
फिर ये क्षण ना जाने आ पायेंगे क्या जीवन में ,
दुश्मन घात लगाते बैठा सरहद के हर कोने में।
एक-एक सौ को मारेगें शीश रखेगें हाथों में ,
पैरों से चल कर आयें या लिपट कर तिरंगे में।
कुसुम कोठारी।
आओ साथियों दो घड़ी विश्राम कर लें ,
ठंडा गरम रोटी चावल जो मिले पेट भर लें ।
मंजिल दूर राह प्रस्तर हौसला बुलंद कर लें ,
मां का श्रृंगार न उजड़े ऐसा दृढ़ निश्चय करलें ।
कंधों पर दायित्व बड़े, राह में पर्वत खड़े ,
देश की रक्षा हित हो प्राण भी देना पड़े ।
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें,
आंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।
फिर ये क्षण ना जाने आ पायेंगे क्या जीवन में ,
दुश्मन घात लगाते बैठा सरहद के हर कोने में।
एक-एक सौ को मारेगें शीश रखेगें हाथों में ,
पैरों से चल कर आयें या लिपट कर तिरंगे में।
कुसुम कोठारी।
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ReplyDeleteयुद्ध पर जाते मनोभावों से मन को भावुक करती रचना प्रिय कुसुम बहन | एक नितांत नये विषय पर बहुत भावपूर्ण रचना है | ये पंक्तियाँ तो मानों मन को छूकर ही निकल गयी -
ReplyDeleteमां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें,
आंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।
देश भक्ति के साथ ये भाव उनके मन में ना उमड़ते हों , एसा नहीं हो सकता | वेभी आखिर इंसान हैं | सीमित साधनों के साथ , इन निजी भावनाओं को कुचलकर देशहित में सर्वोच्च बलिदान उनका महानतम पराक्रम है | आपका लेखन अपने आप में विशिष्ट है | सस्नेह शुभकामनाएं |
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कृपया युद्ध पर जाते सैनिकों के मनोभावों से पढ़े🙏🙏
Deleteओह रेणु बहन आपकी गहन दृष्टि से की गई समीक्षा ने रचना में निहित भावों को और भी मुखरित कर दिया ।
ReplyDeleteरचना में निहित दर्द को महसूस कर आपकी ये टिप्पणी मेरी रचना का पुरस्कार है ।
बहुत बहुत सा सरनेम आभार ।
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०५-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१४ "देश प्रेम"( चर्चा अंक-३६६२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें,
ReplyDeleteआंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।
कुछ कर्तव्य , कुछ देशभक्ति, कुछ जिम्मेदारी और मजबूरी तिस पर अपनों की यादें.....
सैनिक के मनोभावों का बहुत ही हृदयस्पर्शी भावपूर्ण सृजन किया कुसुम जी आपने ।
अद्भुत एवं उत्कृष्ट सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई आपको।
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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