सैनिकों !ओ मेरे देश के वीर सैनिकों ,
नमन तुम्हें, हर देश वासी का ।
खड़े हो तुम चट्टानों से देश के बन प्रहरी।
जलती धूप सहते, जमने वाली सर्दी मे डटे रहते।
भूख प्यास सभी तजते, रात दिन जुटे रहते।
घर से दूर ,परिवार से बिछड़, असमय प्राण तजते ।
पत्थरों का सामना करके भी, देश रक्षा हित चुप रहते।
अपना लहू बहाते ,सब की सहायता में लगे रहते।
तुम्हारी कुर्बानीयों से उन्नत है, भाल देश का ।
औ सैनिकों, मेरे वीर सैनिकों, नमन तुम्हें हम प्रतिपल करते।
कुसुम कोठारी।
नमन तुम्हें, हर देश वासी का ।
खड़े हो तुम चट्टानों से देश के बन प्रहरी।
जलती धूप सहते, जमने वाली सर्दी मे डटे रहते।
भूख प्यास सभी तजते, रात दिन जुटे रहते।
घर से दूर ,परिवार से बिछड़, असमय प्राण तजते ।
पत्थरों का सामना करके भी, देश रक्षा हित चुप रहते।
अपना लहू बहाते ,सब की सहायता में लगे रहते।
तुम्हारी कुर्बानीयों से उन्नत है, भाल देश का ।
औ सैनिकों, मेरे वीर सैनिकों, नमन तुम्हें हम प्रतिपल करते।
कुसुम कोठारी।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 11 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteमैं मुखरित मौन पर जरूर उपस्थित रहूंगी।
बहुत-बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१२-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१६'सैनिक' (चर्चा अंक-३६६९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteमैं चर्चा पर जरूर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सा आभार सखी।
Deleteसस्नेह।
सत सत नमन इन वीरों को , सुंदर सृजन ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी रचना सार्थक हुई।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्कृष्ट
ReplyDeleteजय जवान
बहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteवाह कुसुम बहन - वीर जवानों के र प्रति अगाधस्नेह और सम्मान से भरी रचना जो वीरों की शौर्यगाथा की कहानी कहती है | हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए |
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