श्वेताम्बरी माँ सौम्य अभया, वरमुद्रा कर धारी।
भव्य उज्जवल नयन सुशोभित, स्नेह सुधा रस झारी।
कल्मष पाप नष्ट करती माँ, शांत रूप ज्यों चंदा।
पूजन अर्चन करें भाव से,भव का कटता फंदा।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
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