गीतिका /2212 1212
जब भाव शुद्ध मति भरे ।
चिर बुद्धि शुभ्र ही धरे।।
मन में सदा उजास हो।
परिणाम हो सभी खरे।।
हर कार्य पर हिताय हो।
तो क्यों रहें डरे-डरे।।
भर नीर के जलद सभी।
खा चोट वो तभी झरे।।
नव हो विकास कोंपले।
तो पात सब हरे हरे।।
सागर उफन-उफन रहा।
नाविक सधा हुआ तरे ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
यथार्थ का भाव लिए सुंदर गीतिका । बधाई आपको ।
ReplyDeleteस्नेह आभार जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी सराहना से लेखन को प्रवाह मिला ।
सस्नेह।
बहुत सुंदर गीतिका, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteलेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
मन नेक तो काम हमेशा ही अच्छा परिणाम देता है
ReplyDeleteजी सही कहा आपने।
Deleteलेखन को समर्थन देती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह आभार आपका।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को "काव्य का आधारभूत नियम छन्द" (चर्चा अंक--4506) पर भी होगी।
ReplyDelete--
कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteचर्चा मंच पर रचना को देखना सदा सुखद होता है।
मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
सकारात्मक भावों का सुंदर चित्रण
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अनिता जी।
Deleteऊर्जावान प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
आदरणीया कुसुम कोठारी (मन की वीणा ) जी, नमस्ते 🙏❗️
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है. दुबारा पढ़ने का मन करता रहता है. साधुवाद
कृपया इस लिन्क पर मेरी रचना मेरी आवाज में सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें! सादर!
https://youtu.be/PkgIw7YRzyw
ब्रजेन्द्र नाथ
हृदय से आभार आपका।
Deleteउत्साह वर्धन के लिए।
आपके ब्लॉग का समय समय पर अवलोकन करती हूं आदरणीय।
सादर।
वाह!बहुत बढ़िया 👌
ReplyDeleteसादर स्नेह
सस्नेह आभार आपका।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमन में सदा उजास हो।
Deleteपरिणाम हो सभी खरे।।
हर कार्य पर हिताय हो।
तो क्यों रहें डरे-डरे।।
आपका सृजन पढ़ कर हृदय सुकून से भर जाता है ।अत्यंत सुन्दर सृजन कुसुम जी !
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सदा लेखनी को नव उर्जा मिलती है।
Deleteढेर सा स्नेह।
वाह!
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
सादर।
बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
ReplyDeleteप्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
सादर।