सावन का मृदु हास
शाख शाख बंधा हिण्डोला
ऋतु का तन भी खिला-खिला।
रंग बिरंगी लगे कामिनी
बनी ठनी सी चमक रही
परिहास हास में डोल रही
खुशियाँ आनन दमक रही
डोरी थामें चहक रही है
सारी सखियाँ हाथ मिला।।
रेशम रज्जू फूल बँधे हैं
मन पर छाई तरुणाई
आँखे चपला सी चपल बनी
गाल लाज की अरुणाई
मीठे स्वर में कजरी गाती
कण-कण को ही गयी जिला।।
मेघ घुमड़ते नाच रहे हैं
मूंगा पायल झनक रही
सरस धार से पानी बरसा
रिमझिम बूँदें छनक रही
ऐसे मधुरिम क्षण जीवन को
सुधा घूंट ही गयी पिला ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2-8-22} को "रक्षाबंधन पर सैनिक भाईयों के नाम एक पाती"(चर्चा अंक--4509)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
Deleteचर्चा मंच पर रचना को स्थान देने के लिए ।
मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
खूबसूरत रचना...वर्षा ऋतु का मनोरम दृश्य खींच दिया...वाह-वाह...👏👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साह वर्धन करती हुई टिप्पणी से लेखन को नव उर्जा मिली।
सादर
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर ।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteसादर।
वर्षा ऋतु का बहुत ही सुंदर दृश्य।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना मूल्यवान हुई।
सस्नेह।
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
वाह!!!
ReplyDeleteसावन की रिमझिम फुहारों और खूबसूरत हिण्डोलों की बहुत ही मनमोहक शब्दचित्रण...
बहुत ही लाजवाब ।
बहुत सा स्नेह आभार सुधा जी।
Deleteआपकी मोहक प्रतिक्रिया से सावन और भी हरियल हो गया।
सस्नेह।
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ReplyDeleteबहुत सुंदर ....... रचना पढ़ते पढ़ते ही झूला झूल लिए । सावन मन गया ।
ReplyDeleteअरे वाह! तब तो मुझे भी फिर से पढ़नी होगी ।
Deleteझूला अभी झूल ही नहीं पाई।
ढेर सा स्नेह आभार आदरणीय संगीता जी अपनत्व से भरे बोल हृदय को आह्लादित कर ग्ए।
सादर सस्नेह।
बहुत बहुत आभार आपका यशोदा जी ।
ReplyDeleteपांच लिकों पर रचना को देखना सदा सुखद अनुभव । मैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
रेशम रज्जू फूल बँधे हैं, मन पर छाई तरुणाई, आँखे चपला सी चपल बनी,
ReplyDeleteगाल लाज की अरुणाई - सावन की तीज का मनमोहक वर्णन
जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
सादर।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका भारती जी।
Deleteसस्नेह।
मेघ घुमड़ते नाच रहे हैं
ReplyDeleteमूंगा पायल झनक रही
सरस धार से पानी बरसा
रिमझिम बूँदें छनक रही
ऐसे मधुरिम क्षण जीवन को
सुधा घूंट ही गयी पिला ।।
. सावन की छटा का सुंदर मनमोहक वर्णन ।
हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
सस्नेह।।