Wednesday, 27 July 2022

गीतिका


 गीतिका /2212 1212


जब भाव शुद्ध मति भरे ।

चिर बुद्धि शुभ्र ही धरे।।


मन में सदा उजास हो।

परिणाम हो सभी खरे।।


हर कार्य पर हिताय हो।

तो क्यों रहें डरे-डरे।।


भर नीर के जलद सभी।

खा चोट वो तभी झरे।।


नव हो विकास कोंपले।

तो पात सब हरे हरे।।


सागर उफन-उफन रहा।

नाविक सधा हुआ तरे  ।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

22 comments:

  1. यथार्थ का भाव लिए सुंदर गीतिका । बधाई आपको ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्नेह आभार जिज्ञासा जी।
      आपकी सराहना से लेखन को प्रवाह मिला ।
      सस्नेह।

      Delete
  2. बहुत सुंदर गीतिका, कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

      Delete
  3. मन नेक तो काम हमेशा ही अच्छा परिणाम देता है

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सही कहा आपने।
      लेखन को समर्थन देती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह आभार आपका।

      Delete
  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर

      Delete
  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
    --
    कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      चर्चा मंच पर रचना को देखना सदा सुखद होता है।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

      Delete
  6. सकारात्मक भावों का सुंदर चित्रण

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका अनिता जी।
      ऊर्जावान प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

      Delete
  7. आदरणीया कुसुम कोठारी (मन की वीणा ) जी, नमस्ते 🙏❗️
    बहुत सुंदर रचना है. दुबारा पढ़ने का मन करता रहता है. साधुवाद
    कृपया इस लिन्क पर मेरी रचना मेरी आवाज में सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें! सादर!
    https://youtu.be/PkgIw7YRzyw
    ब्रजेन्द्र नाथ

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका।
      उत्साह वर्धन के लिए।
      आपके ब्लॉग का समय समय पर अवलोकन करती हूं आदरणीय।
      सादर।

      Delete
  8. वाह!बहुत बढ़िया 👌
    सादर स्नेह

    ReplyDelete
  9. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. मन में सदा उजास हो।
      परिणाम हो सभी खरे।।

      हर कार्य पर हिताय हो।
      तो क्यों रहें डरे-डरे।।

      आपका सृजन पढ़ कर हृदय सुकून से भर जाता है ।अत्यंत सुन्दर सृजन कुसुम जी !

      Delete
    2. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सदा लेखनी को नव उर्जा मिलती है।
      ढेर सा स्नेह।

      Delete
  10. Replies
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

      Delete
  11. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
    प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
    सादर।

    ReplyDelete