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Thursday, 30 June 2022

एक नीड़ बना न्यारा

बाल गीत


एक नीड़ बना न्यारा।


लंकापति की स्वर्ण नगरिया

भरती दिखती पानी।

चिड़िया जी ने नीड़ बनाया

लगती उसकी रानी।


टूटी सी कंदील सजी है

तिनका-तिनका जोड़ा।

नहीं किसीका सदन उजाड़ा

पादप एक न तोड़ा।


ठाठ लगे हैं राज भवन से

राजदुलारे खेले।

माँ बैठी मन मुस्काए

खुशियों के हैं मेले।


चोंच खोल कर नेह जताए

माँ गोदी में लेलो

या तुम भी अब अंदर आकर

साथ हमारे खेलो ।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

 

16 comments:

  1. बहुत सुंदर बालगीत।

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    1. ज्योति बहन बहुत बहुत सा आभार ।
      सस्नेह।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-07-2022) को चर्चा मंच     "उतर गया है ताज"    (चर्चा अंक-4478)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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    1. रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  3. वाह बहुत सुंदर बाल गीत !!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अनुपमा जी गीत पसंद आया आप को लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  4. टूटी सी कंदील सजी है

    तिनका-तिनका जोड़ा।

    नहीं किसीका सदन उजाड़ा

    पादप एक न तोड़ा।
    पेड़ पौधे काटकर पक्षियों क़ बेघर कर घर बनाता मनुष्य कुछ सीखे चिड़िया जी से..
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

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    1. हृदय तल से आभार आपका सुधा जी।
      उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  5. Replies
    1. हृदय से आभार आपका सुमन जी।
      रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  6. Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका।
      सादर।

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  7. खूबसूरत बालगीत सखी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।
      लेखन सार्थक हुआ।

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  8. अच्छे बालगीत नहीं मिलते आजकल , भाषा सरल रखियेगा ! शुभकामनायें

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  9. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
    आपकी बहुमूल्य सलाह को अब सदा ध्यान में रखते हुए ही बाल गीत लिखूंगी, सरल सुबोध और प्रेरक।
    आत्मीय आभार।
    सदा सही सलाह के स्वागत है आदरणीय।
    सादर।

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