बाल गीत
एक नीड़ बना न्यारा।
लंकापति की स्वर्ण नगरिया
भरती दिखती पानी।
चिड़िया जी ने नीड़ बनाया
लगती उसकी रानी।
टूटी सी कंदील सजी है
तिनका-तिनका जोड़ा।
नहीं किसीका सदन उजाड़ा
पादप एक न तोड़ा।
ठाठ लगे हैं राज भवन से
राजदुलारे खेले।
माँ बैठी मन मुस्काए
खुशियों के हैं मेले।
चोंच खोल कर नेह जताए
माँ गोदी में लेलो
या तुम भी अब अंदर आकर
साथ हमारे खेलो ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बहुत सुंदर बालगीत।
ReplyDeleteज्योति बहन बहुत बहुत सा आभार ।
Deleteसस्नेह।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-07-2022) को चर्चा मंच "उतर गया है ताज" (चर्चा अंक-4478) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
वाह बहुत सुंदर बाल गीत !!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अनुपमा जी गीत पसंद आया आप को लेखन सार्थक हुआ।
Deleteसस्नेह।
टूटी सी कंदील सजी है
ReplyDeleteतिनका-तिनका जोड़ा।
नहीं किसीका सदन उजाड़ा
पादप एक न तोड़ा।
पेड़ पौधे काटकर पक्षियों क़ बेघर कर घर बनाता मनुष्य कुछ सीखे चिड़िया जी से..
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब सृजन।
हृदय तल से आभार आपका सुधा जी।
Deleteउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
सस्नेह।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सुमन जी।
Deleteरचना सार्थक हुई।
सस्नेह।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteसादर।
खूबसूरत बालगीत सखी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteलेखन सार्थक हुआ।
अच्छे बालगीत नहीं मिलते आजकल , भाषा सरल रखियेगा ! शुभकामनायें
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteआपकी बहुमूल्य सलाह को अब सदा ध्यान में रखते हुए ही बाल गीत लिखूंगी, सरल सुबोध और प्रेरक।
आत्मीय आभार।
सदा सही सलाह के स्वागत है आदरणीय।
सादर।