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Tuesday, 28 June 2022

विरहन की पाती


 विरहन की पाती


पिव आने की आशा मन में

मृगनयनी छत पर चढ़ आती।

नख सिख तक श्रृंगार रचाए

लेकर हाथ कलम अरु पाती।।


चाँद किरण से बातें करती

खंजन आँखें राह निहारे

थोड़ी सी आहट पर चौंकी

पिया दरश को नैना हारे

बदरी ने आँसू छलकाये

नन्हीं बूँदे आस दिलाती।।


सुनो कलापी मेरे भाई

सजना को दे दो संंदेशा

पत्र लिखूँ कुछ मन की बातें

उपालंभ भी अरु अंदेशा 

पवन झकोरा चला मचल कर

उड़ा ले गया लेख अघाती।।


स्वामी के बागों में जाकर

पीहू पीहू तान सुनाना

नाच नाचना मोहक ऐसे

उन को मेरी याद दिलाना

साथ उन्हें लेकर घर आना

नहीं याद अब मन से जाती।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

18 comments:

  1. Replies
    1. हृदय से आभार आपका आलोक जी।
      उत्साह वर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
      सादर।

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  2. वाह!बहुत सुंदर सृजन।

    चाँद किरण से बातें करती
    खंजन आँखें राह निहारे
    थोड़ी सी आहट पर चौंकी
    पिया दरश को नैना हारे
    बदरी ने आँसू छलकाये
    नन्हीं बूँदे आस दिलाती... वाह!

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    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  3. विरहन का इंतज़ार और मिलन की आस , बहुत खूबसूरत अहसास।

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय, आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से रचना के भाव मुखरित हुए।
      सादर।

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  4. अति सुंदर भावाभिव्यक्ति !!

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    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका अनुपमा जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  5. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर, अप्रतिम....
    पवन झकोरा चला मचल कर
    उड़ा ले गया लेख अघाती।।
    दिल को छूती लाजवाब कृति।

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    1. सस्नेह आभार आपका सुधा जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  6. स्वामी के बागों में जाकर

    पीहू पीहू तान सुनाना

    नाच नाचना मोहक ऐसे

    उन को मेरी याद दिलाना

    बीते जमाने की खुशबू बिखेरती हुई रचना, कभी ऐसे दिन गुजरती थी विरहनी लेकिन अब वो दौर गुजर गया, हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय कुसुम जी 🙏

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    1. सस्नेह आभार आपका कामिनी जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  7. बहुत सुंदर सृजन

    चाँद किरण से बातें करती
    खंजन आँखें राह निहारे

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    1. बहुत बहुत आभार आपका संजय जी।
      सादर।

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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    Replies
    1. हृदय से आभार आपका सखी।
      उत्साह वर्धन के लिए।
      सस्नेह।

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  9. सादर धन्यवाद आपका आदरणीय।
    मैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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  10. हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
    ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
    सस्नेह।

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