विरहन की पाती
पिव आने की आशा मन में
मृगनयनी छत पर चढ़ आती।
नख सिख तक श्रृंगार रचाए
लेकर हाथ कलम अरु पाती।।
चाँद किरण से बातें करती
खंजन आँखें राह निहारे
थोड़ी सी आहट पर चौंकी
पिया दरश को नैना हारे
बदरी ने आँसू छलकाये
नन्हीं बूँदे आस दिलाती।।
सुनो कलापी मेरे भाई
सजना को दे दो संंदेशा
पत्र लिखूँ कुछ मन की बातें
उपालंभ भी अरु अंदेशा
पवन झकोरा चला मचल कर
उड़ा ले गया लेख अघाती।।
स्वामी के बागों में जाकर
पीहू पीहू तान सुनाना
नाच नाचना मोहक ऐसे
उन को मेरी याद दिलाना
साथ उन्हें लेकर घर आना
नहीं याद अब मन से जाती।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आलोक जी।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
सादर।
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteचाँद किरण से बातें करती
खंजन आँखें राह निहारे
थोड़ी सी आहट पर चौंकी
पिया दरश को नैना हारे
बदरी ने आँसू छलकाये
नन्हीं बूँदे आस दिलाती... वाह!
सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteलेखन को नव उर्जा मिली।
सस्नेह।
विरहन का इंतज़ार और मिलन की आस , बहुत खूबसूरत अहसास।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय, आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से रचना के भाव मुखरित हुए।
Deleteसादर।
अति सुंदर भावाभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका अनुपमा जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteलेखन को नव उर्जा मिली।
सस्नेह।
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, अप्रतिम....
पवन झकोरा चला मचल कर
उड़ा ले गया लेख अघाती।।
दिल को छूती लाजवाब कृति।
सस्नेह आभार आपका सुधा जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteलेखन को नव उर्जा मिली।
सस्नेह।
स्वामी के बागों में जाकर
ReplyDeleteपीहू पीहू तान सुनाना
नाच नाचना मोहक ऐसे
उन को मेरी याद दिलाना
बीते जमाने की खुशबू बिखेरती हुई रचना, कभी ऐसे दिन गुजरती थी विरहनी लेकिन अब वो दौर गुजर गया, हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय कुसुम जी 🙏
सस्नेह आभार आपका कामिनी जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteलेखन को नव उर्जा मिली।
सस्नेह।
बहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteचाँद किरण से बातें करती
खंजन आँखें राह निहारे
बहुत बहुत आभार आपका संजय जी।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सखी।
Deleteउत्साह वर्धन के लिए।
सस्नेह।
सादर धन्यवाद आपका आदरणीय।
ReplyDeleteमैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
ReplyDeleteब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।