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Wednesday, 8 June 2022

रूपसी


 गीतिका (हिंदी ग़ज़ल)

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रूपसी


सज रूप को निखार रुचिर कामिनी चली।

वो अप्सरा समान गगन स्वामिनी चली।।


है लट छटा अनूप सुमन वेणिका धरे।

रख चाँद को ललाट लगे यामिनी चली।


शुक नासिका उदार लिए स्वर्ण नथनिया।

रतनार है कपोल शिशिरयामिनी चली।


है मंद हास रेख अधर पर खिली खिली।

वो रूपसी सुहास चटक दामिनी चली।


दो हाथ पर सुवास खिला आलता रचा।

ज्यों नेह भार साथ लिए पद्मिनी चली।


जब पाँव उठ उमंग चले आज प्रीत के।

है झाँझरी अधीर कहीं रागिनी चली।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

30 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 09.06.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4456 में दिया जाएगा| मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    1. जी हृदय से आभार आपका चर्चा में स्थान देने के लिए।
      मैं उपस्थित रहूंगी चर्चा मंच पर।
      सादर।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 9 जून 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका पाँच लिंक पर स्थान देने के लिए।
      मैं उपस्थित रहूंगी मंच पर।
      सादर सस्नेह।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

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  4. बहुत सुंदर और मनोहारी वर्णन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका संगीता जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सादर सस्नेह।

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  5. मनहर नायिका चित्रण

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    1. जी हृदय से आभार आपका।
      रचना को समर्थन देती प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  6. अद्भुत सौंदर्य छटा!

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    1. हृदय से आभार आपका विश्व मोहन जी।
      नव ऊर्जा का संचार करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सादर।

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  7. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
      सादर।

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  8. अद्भुत मनोहारी वर्णन !!

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    1. हृदय से आभार आपका अनुपमा जी ।
      रचना को स्नेह मिला।
      सस्नेह।

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  9. इस गीत के माध्यम से अदभुत, मनमोहनी छवि दिखाई आप ने, वैसे एक बात बताऊं कुसुम जी इस गीत में आपने हमारे परिवार की चार सदस्य हैं, कामिनी मैं, दामिनी मेरी बेटी, रागिनी मेरी बहन और यामिनी मेरी भतीजी, अदभुत सृजन,सादर नमन आपको 🙏

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    1. यह भी खूब संयोग है ।

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    2. बहुत सुंदर । आप इस रचना को संजो लें।

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    3. बहुत बहुत सा स्नेह आभार प्रिय कामिनी जी।
      आपको ये प्रयास पसंद आया।
      अहा! ये तो अद्भुत संयोग है, जैसे आपको और आपके सभी स्नेही पात्रों को ध्यान में रख कर ही रचना लिखी गई हो।
      मेरे लिए ये सुखद रहा कि आपके स्नेही जनो का
      नाम पता चला ।
      तो मेरी ये रचना स्नेही सखी कामिनी जी, दामिनी बिटिया रागिनी जी और यामिनी बिटिया को समर्पित करती हूं।
      सस्नेह।

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  10. वाह ! आजकल इतने सुंदर और आलंकारिक शब्दों में नायिका का नख शिख सौंदर्य चित्रण कहाँ पढ़ने को मिलता है ? अति सुंदर शब्द चित्र।

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    1. हृदय से आभार आपका मीना जी आपकी काव्यात्मक, आत्मीयता भरी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  11. है झाँझरी अधीर कहीं रागिनी चली।।
    वाह..अद्भुत सौंदर्य वर्णन ।

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    1. आपको पसंद आई जिज्ञासा जी मन प्रसन्न हुआ लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह आभार आपका।

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  12. वाह!कुसुम जी ,अद्भुत👌👌

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    1. सस्नेह आभार आपका शुभा जी, उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  13. वाह वाह कुसुम जी बहुत ही मनभावन गीतिका !!!!
    बहुत ही लाजवाब 👌👌👋👋

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  14. वाह ... गज़ल के बहार में सात्विक हिन्दी भाव बाखूबी लिखे हैं ...
    बहुत लाजवाब ...

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    1. जी हृदय से आभार आपका नासवा जी , गीतिका ग़ज़ल का ही हिंदी रूप हैं दोनों में समान मापनी (बहर) ही चलती है।
      आप तो उत्कृष्ट ग़ज़ल और अस्आर लिखते हैं।
      आपकी विहंगम दृष्टि से गीतिका सार्थक हुई।
      सादर।

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  15. सुंदर शब्द चित्र।

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