नियति सब कुछ तो निश्चित किए बैठी है और हम न जाने क्यों इतराते रहते हैं खुद की कल्पनाओं, समझदारी, योजनाओं,और साधनों पर।
क्या कभी कोई पत्ता भी हिलता है हमारे चाहने भर से।
समय दिखता नहीं पर निशब्द अट्टहास करता है हमारे पास खड़ा ,हम समय के भीतर से गुजरते रहते हैं अनेकों अहसास लिए और समय वहीं रूका रहता हैं निर्लिप्त निरंकार।
वक्त थमा सा खड़ा रहता है और हम उस राह गुजरते हैं जिसकी कोई वापसी ही नहीं।
पीछे छूटते पलों में कितने सुख कितने दुख सभी पीछे छूटते हैं बस उनकी एक छाया भर स्मृति में कहीं रहती है।
और हम निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं समय खड़ा रहता है ठगा सा !!
बहुत गहरी बात कही दी परंतु मानव कब समझता है।
ReplyDeleteबुद्धि के जोर पर स्वयं को ज्ञाता समझता रहता।
सराहनीय सृजन।
सही कहा प्रिय अनिता आपने।
Deleteकोई कितना भी ज्ञाता हो नियति के आगे अज्ञ है, उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
सस्नेह।
मन को छूते संवेदना के मर्म । हमारी सोच को यथार्थ का आइना दिखाता आलेख ।बहुत बहुत शुभकामनाएं कुसुम जी ।आपको नमन ।
ReplyDeleteआपको लेखन पसंद आया लेखन सार्थक हुआ।
Deleteबस यूं ही मन में कुछ विचार उठे और लिख दिए बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
सस्नेह।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
Deleteसादर।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
(6-12-21) को
तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी,चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
एक कहानी का वाकया है कि गाड़ीवान ने धूप से बचाने के लिए अपने कुत्ते को उसके नीचे चलने दिया ! इस पर कुत्ते को लगा कि गाडी वही चला, संभाल रहा है...............!!
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर कथा, लेखन के समानांतर भावों से लेखन मुखरित हुआ ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका गगन जी ।
सादर।
नियति सब कुछ तो निश्चित किए बैठी है और हम न जाने क्यों इतराते रहते हैं खुद की कल्पनाओं, समझदारी, योजनाओं,और साधनों पर।
ReplyDeleteसही कहा बिल्कुल वैसे ही जैसे ऊपर गगन शर्मा जी ने लिखा है....इसी गलतफहमी में उम्र गुजरती है...
बहुत ही सार्थक मनन योग्य लाजवाब सृजन।
मन प्रफुल्लित हुआ सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया लेखन में नव प्राण फूंक देती है।
Deleteहृदय से आभार आपका।
सस्नेह।