नवजागरण
बीती बातों को बिसरादे
क्यों खारी यादों में रोता
हाथों से तू भाग्य सँवारे
खुशियों की खेती को जोता ।
शाम ढले का ढ़लता सूरज
संग विहान उजाले लाता
साहस वालों के जीवन में
रंग प्रखर कोमल वो भरता
त्यागो धूमिल वसन पुराने
और लगा लो गहरा गोता।।
मन के दीप जला आलोकित
जीवन भोर उजाला भरलो
लोभ मोह सम अरि को मारो
धर्म ध्वजा को भी फहरालो
धरा भाव को समतल करके
उपकारी दानों को बोता।।
तम से क्यों डरता है मानव
नन्हा दीपक उस पर भारी
अवसर को आगाज बनादे
करले बस ऐसी तैयारी
बीज रोप दे बंजर में कुछ
यूँ कोई होश नहीं खोता।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह 👌
ReplyDeleteसादर आभार आपका।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१८-१२ -२०२१) को
'नवजागरण'(चर्चा अंक-४२८२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सादर आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बीते को बिसार के ही आगत का स्वागत होता है नहीं तो ढेर मन में कडुवाहट रहती है ...
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण ...
सुंदर सटीक व्याख्या, सादर आभार आपका।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
सादर।
सुंदर सारगर्भित तथा प्रेरक रचना ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteउत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
तम से क्यों डरता है मानव
ReplyDeleteनन्हा दीपक उस पर भारी
वाह बेहतरीन 👌👌👌👌
सस्नेह आभार सखी रचना सार्थक हुई।
Deleteसस्नेह।
एक कोशिश बहुत कुछ बदल देती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जी बहुत बहुत आभार आपका, सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह।
तम से क्यों डरता है मानव
ReplyDeleteनन्हा दीपक उस पर भारी
अवसर को आगाज बनादे
करले बस ऐसी तैयारी
बीज रोप दे बंजर में कुछ
यूँ कोई होश नहीं खोता।।
वाह बहुत ही उम्दा प्रेरणादायक सृजन..
सस्नेह आभार आपका ।
Deleteव्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
सस्नेह।
सकारात्मकता से लबालब अति प्रेरक सृजन दी।
ReplyDeleteआपकी रचनाएँ सदैव अपने मूल उद्देश्य सार्थक संदेश प्रेषित करने में सक्षम है।
प्रेरित करते रहें हमें।
प्रणाम दी
सादर।
रचना के भावों तक गहन उतरने से रचना का व्यक्त्व्य स्पष्ट हुआ सुंदर सटीक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार प्रिय श्वेता।
Deleteसस्नेह।
प्रेरणादायी रचना।
ReplyDeleteसकारात्मक भावों से सम्पन्न कर्मयोग का संदेश लिए अत्यंत सुंदर व प्रेरक उद्बोधन । विगत को भूल आगत के स्वागत को प्रेरित करता अप्रतिम सृजन ।
ReplyDeleteसुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना अपने उद्देश्य में पूर्ण हुई मीना जी, आपकी प्रबुद्ध टिप्पणी से रचना सार्थक हुई।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका।