Thursday, 16 December 2021

नवजागरण


 नवजागरण


बीती बातों को बिसरादे

क्यों खारी यादों में रोता

हाथों से तू भाग्य सँवारे

खुशियों की खेती को जोता ।


शाम ढले का ढ़लता सूरज 

संग विहान उजाले लाता

साहस वालों के जीवन में

रंग प्रखर कोमल वो भरता

त्यागो धूमिल वसन पुराने

और लगा लो गहरा गोता।।


मन के दीप जला आलोकित

जीवन भोर उजाला भरलो

लोभ मोह सम अरि को मारो

धर्म ध्वजा को भी फहरालो

धरा भाव को समतल करके

उपकारी दानों को बोता।।


तम से क्यों डरता है मानव

नन्हा दीपक उस पर भारी 

अवसर को आगाज बनादे

करले बस ऐसी तैयारी

बीज रोप दे बंजर में कुछ

यूँ कोई होश नहीं खोता।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

19 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१८-१२ -२०२१) को
    'नवजागरण'(चर्चा अंक-४२८२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. सादर आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
      मैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  2. बीते को बिसार के ही आगत का स्वागत होता है नहीं तो ढेर मन में कडुवाहट रहती है ...
    सुन्दर भावपूर्ण ...

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    1. सुंदर सटीक व्याख्या, सादर आभार आपका।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

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  3. सुंदर सारगर्भित तथा प्रेरक रचना ।

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    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
      उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  4. तम से क्यों डरता है मानव

    नन्हा दीपक उस पर भारी
    वाह बेहतरीन 👌👌👌👌

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    1. सस्नेह आभार सखी रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  5. एक कोशिश बहुत कुछ बदल देती है
    बहुत सुन्‍दर

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका, सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  6. तम से क्यों डरता है मानव
    नन्हा दीपक उस पर भारी
    अवसर को आगाज बनादे
    करले बस ऐसी तैयारी
    बीज रोप दे बंजर में कुछ
    यूँ कोई होश नहीं खोता।।
    वाह बहुत ही उम्दा प्रेरणादायक सृजन..

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    1. सस्नेह आभार आपका ।
      व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  7. सकारात्मकता से लबालब अति प्रेरक सृजन दी।
    आपकी रचनाएँ सदैव अपने मूल उद्देश्य सार्थक संदेश प्रेषित करने में सक्षम है।
    प्रेरित करते रहें हमें।
    प्रणाम दी
    सादर।

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    1. रचना के भावों तक गहन उतरने से रचना का व्यक्त्व्य स्पष्ट हुआ सुंदर सटीक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार प्रिय श्वेता।
      सस्नेह।

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  8. प्रेरणादायी रचना।

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  9. सकारात्मक भावों से सम्पन्न कर्मयोग का संदेश लिए अत्यंत सुंदर व प्रेरक उद्बोधन । विगत को भूल आगत के स्वागत को प्रेरित करता अप्रतिम सृजन ।

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  10. सुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना अपने उद्देश्य में पूर्ण हुई मीना जी, आपकी प्रबुद्ध टिप्पणी से रचना सार्थक हुई।
    सस्नेह आभार आपका।

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