कोई ऐसा गीत सुना दूँ
सुन के जिस को हर दिल झूमें
एक ऐसा गीत सुना दूँ।
बंद कली घूंघट पट खोले
भँवरे भी घायल हो डोले
कुहुक उठे कोयलिया
ठहरी पायल बोले।
कोई ऐसा गीत सुना दूँ।
जिन होठों से गीत हैं छूटे
उन पर तान सजा दू़
जिन आँखों से सपने रुठे
सपने सरस सजा दूँ।
कोई ऐसा गीत सुना दूँ ।
कुसुम कोठारी "प्रज्ञा"
वाह। बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 3 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया मैम ,
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी सकारात्मकता से भरी हुई सुंदर रचना. पढ़ कर बहुत आनंद आया। सुंदर रचना के लिए आभार और आपको सादर नमन।
बहुत प्यारी रचना गूढ़ भाओं से सजी👌👌
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