Followers

Friday, 2 October 2020

विश्व के छाले सहला दो

 


 

विश्व के छाले सहला दो!

ओ चाँद कहां छुप बैठे हो

ढ़ूंढ़ रही है तुम्हें दिशाएं

अपनी मुखरित उर्मियाँ

कहाँ समेट कर रखी है

क्या पास तुम्हारे भी है 

माँ के जैसा कोई प्याला

जिसमें स्नेह वशीभूत हो

वो छुपा दिया करती थी

सबकी नजरों से बचाकर

मेरे लिए नवनीत चूरमा

पर वो होता था मेरे लिए

तुम किसके लिए सहेज रहे

ये रजत किरणें दीप्त सी

खोलदो उन्हें आजाद करदो

बिखेर दो तम के साम्राज्य पर

साथ ही अमि सुधा की कुछ बूंदें

टपकादो विश्व के जलते छालों पर।।


    कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

22 comments:

  1. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

      Delete
  2. बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन।
      सस्नेह।

      Delete
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 5 अक्टूबर 2020) को 'हवा बहे तो महक साथ चले' (चर्चा अंक - 3845) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार! चर्चा मंच पर उपस्थित निश्चित है बस देरी हो जाती हैं ।
      सादर।

      Delete
  4. बेहतरीन लेखन, हमेशा की तरह। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका ।
      उत्साह वर्धन हुआ।

      Delete
  5. Replies
    1. बहुत सा आभार आदरणीय।
      सादर।

      Delete
  6. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      उत्साह वर्धन के लिए ।
      सादर।

      Delete
  7. सुन्दर, सकारात्मक !

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत सा आभार।
      ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
      सादर।

      Delete
  8. वाह सखी बहुत खूब
    विश्व के छाले सहला दो

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी उत्साह वर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया।
      सस्नेह

      Delete
  9. बहुत सुंदर रचना सखी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार सखी।
      सदा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया आपकी।
      सस्नेह।

      Delete
  10. बहुत ही सुन्दर लेख |

    Hindi Vyakran Samas

    ReplyDelete
    Replies
    1. This comment has been removed by the author.

      Delete
    2. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।

      Delete
  11. सादर आभार!देरी हो गई है पर पाँच लिंक पर आऊंगी जरूर ।
    सादर।

    ReplyDelete