This comment has been removed by the author.
वाह कुसुम जी ! आपकी कविता पढ़कर होली से 25 दिन पहले ही गुनगुनाने का मन कर रहा है - 'आज बिरज में होली है रे रसिया !'
बहुत ही मन भावन रचना सखी सादर
बेहतरीन रचना
बेहद खूबसूरत और मनमोहक रचना कुसुम जी ।
फाग का मकरंद राग!
बहुत ही सुंदर फागुन गान कुसुम बहन |
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह कुसुम जी ! आपकी कविता पढ़कर होली से 25 दिन पहले ही गुनगुनाने का मन कर रहा है -
ReplyDelete'आज बिरज में होली है रे रसिया !'
बहुत ही मन भावन रचना सखी
ReplyDeleteसादर
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत और मनमोहक रचना कुसुम जी ।
ReplyDeleteफाग का मकरंद राग!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर फागुन गान कुसुम बहन |
ReplyDelete