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Sunday, 24 February 2019

फाल्गुन का मकरंद

फाल्गुन का मकरंद

सुगंधित बयार
तन मन समाई
उड़ा ले चली
मंकरद मनभाई ।

भ्रमित  हो अलि
फिरे भ्रम में
किस सुमन
किस किसलय में।

चहुँ  और  मादक
मौसम  रंगीन
रंग बिरंगो आयो
मतवारो फागुन।।
 
कुसुम कोठारी।

7 comments:

  1. वाह कुसुम जी ! आपकी कविता पढ़कर होली से 25 दिन पहले ही गुनगुनाने का मन कर रहा है -
    'आज बिरज में होली है रे रसिया !'

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  2. बहुत ही मन भावन रचना सखी
    सादर

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  3. बेहतरीन रचना

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  4. बेहद खूबसूरत और मनमोहक रचना कुसुम जी ।

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  5. फाग का मकरंद राग!

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  6. बहुत ही सुंदर फागुन गान कुसुम बहन |

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