नरभक्षी भेड़ियों को खून की आदत लगी
जब दरिंदगी जगी,
आये और चीड़ फाड़ कर चल दिये,
नृशंस हत्यारे गफलत में वार करते रहे
उन पर,
जो करोड़ों को बचाने
तलवार की धार पर बैठे हैं,
जो बंदूक की नाल पर बैठे,
जो हथेली पर जान लिये बैठे,
और हम चार दिन का शोक,
एक दिन के आंसू, दो दिन की सांत्वना,
चार बार लोगो में बैठ हुवे कृत की भर्त्सना
दस बार सोशल मीडिया पर
उन के फेवर में लाईक करते रहते हैं,
और वो भुखे भेड़िये तब तक
वापस एक और नरसंहार कर जाते हैं
हम फिर कोसने बैठ जाते हैं
बस रूप रेखा बनाने में लगे रहते हैं
अब भी आगे क्या करना
की कोई दृढ शुरुआत नही
जाने क्या होगा नही मालुम ,
पर इन विसंगतियों से
कोई हल नही निकल सकता।
वीर शहीदों को फिर कुछ अश्रु अर्पित करती हूं
पर खुद को लज्जित महसूस करती हूं।
शहीदों को कोटिशः नमन।
कुसुम कोठारी।
जब दरिंदगी जगी,
आये और चीड़ फाड़ कर चल दिये,
नृशंस हत्यारे गफलत में वार करते रहे
उन पर,
जो करोड़ों को बचाने
तलवार की धार पर बैठे हैं,
जो बंदूक की नाल पर बैठे,
जो हथेली पर जान लिये बैठे,
और हम चार दिन का शोक,
एक दिन के आंसू, दो दिन की सांत्वना,
चार बार लोगो में बैठ हुवे कृत की भर्त्सना
दस बार सोशल मीडिया पर
उन के फेवर में लाईक करते रहते हैं,
और वो भुखे भेड़िये तब तक
वापस एक और नरसंहार कर जाते हैं
हम फिर कोसने बैठ जाते हैं
बस रूप रेखा बनाने में लगे रहते हैं
अब भी आगे क्या करना
की कोई दृढ शुरुआत नही
जाने क्या होगा नही मालुम ,
पर इन विसंगतियों से
कोई हल नही निकल सकता।
वीर शहीदों को फिर कुछ अश्रु अर्पित करती हूं
पर खुद को लज्जित महसूस करती हूं।
शहीदों को कोटिशः नमन।
कुसुम कोठारी।
बहुत सुंदर और सटीक रचना
ReplyDeleteवीर शहीदों को फिर कुछ अश्रु अर्पित करती हूं
ReplyDeleteपर खुद को लज्जित महसूस करती हूं।
सही कहा आपने ,बहुत मजूबर महसूस करते है खुद को ऐसे वक्त पर.........
आपने मन की बात लिख दी ... खुद को लज्जित महसूस करते हैं मन से ...
ReplyDeleteएक सैनिक हैं बिना सोचे कुर्बानी दे देते हैं ...
नमन है मेरा सैनिकों को ...
नमन
ReplyDeleteवीर शहीदों को फिर कुछ अश्रु अर्पित करती हूं
ReplyDeleteपर खुद को लज्जित महसूस करती हूं।
शहीदों को कोटिशः नमन।
सादर
शहीदों को नमन 🙏🙏🙏
ReplyDeleteशहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...
ReplyDeleteशहीदों को नमन 🙏
ReplyDelete