अब सिर्फ देखिये, बस चुप हो देखिये
पांव की ठोकर में,ज़मी है गोल कितनी देखिये।
क्या सच क्या झूठ है, क्या हक क्या लूट है
मौन हो सब देखिये राज यूं ना खोलिये
क्या जा रहा आपका बेगानी पीर क्यों झेलिये
कोई पूछ ले अगर तो भी कुछ ना बोलिये।
अब सिर्फ देखिये बस चुप हो देखिये..
कुछ खास फर्क पड़ना नही यहां किसीको
गैरत अपनी को दर किनार कर बैठिये
कुछ पल में सामान्य होता यहां सभी को
दिख जाय कुछ तो मुख अपना मोडिये।
अब सिर्फ देखिये, बस चुप हो देखिये..
ढोल में है पोल कितनी बजा बजा के देखिये
मार कर ठोकर या फिर ढोल को ही तोडिये
लम्बी तान सोइये कान पर जूं ना तोलिये
खुद को ठोकर लगे तो आंख मसल कर बोलिये।
अब सिर्फ क्यों देखिये, लठ्ठ बजा के बोलिये।
कुसुम कोठारी
पांव की ठोकर में,ज़मी है गोल कितनी देखिये।
क्या सच क्या झूठ है, क्या हक क्या लूट है
मौन हो सब देखिये राज यूं ना खोलिये
क्या जा रहा आपका बेगानी पीर क्यों झेलिये
कोई पूछ ले अगर तो भी कुछ ना बोलिये।
अब सिर्फ देखिये बस चुप हो देखिये..
कुछ खास फर्क पड़ना नही यहां किसीको
गैरत अपनी को दर किनार कर बैठिये
कुछ पल में सामान्य होता यहां सभी को
दिख जाय कुछ तो मुख अपना मोडिये।
अब सिर्फ देखिये, बस चुप हो देखिये..
ढोल में है पोल कितनी बजा बजा के देखिये
मार कर ठोकर या फिर ढोल को ही तोडिये
लम्बी तान सोइये कान पर जूं ना तोलिये
खुद को ठोकर लगे तो आंख मसल कर बोलिये।
अब सिर्फ क्यों देखिये, लठ्ठ बजा के बोलिये।
कुसुम कोठारी
कुछ खास फर्क पड़ना नही यहां किसीको
ReplyDeleteगैरत अपनी को दर किनार कर बैठिये
कुछ पल में सामान्य होता यहां सभी को
दिख जाय कुछ तो मुख अपना होता मोडिये।
बेहतरीन प्रस्तुति सखी
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 18/02/2019 की बुलेटिन, " एयरमेल हुआ १०८ साल का - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteलम्बी तान सोइये कान पर जूं ना तोलिये
ReplyDeleteखुद को ठोकर लगे तो आंख मसल कर बोलिये।
जी बिल्कुल सही चित्रण शब्दों के माध्यम से, प्रणाम।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसारे विकल्पों पर चिन्तन करती शानदार रचना प्रिय कुसुम बहन |
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