किशोरी का मासूम स्वप्न
एक सूरज सा वर
ढूंढ दे री मैया मोरी
मां दिखा देना चुनर की
ओट से मूझे एक बारी।
मां रंगवा देना एक
नीले अंबर सी चुनर
सुन ना मां ! जड़वा देना
झिलमिलाते उसमें तारे।
मां चांद मत देना चाहे
चांदनी का गोटा लगा देना
मां छोटा सा घूंघट डाल
मुझे भी साजन घर जाना।
मां खनकती सतरंगी
पहना देना हाथों में चूड़ियाँ
याद आयेगी तेरी जब मां
मैं खनका दूंगी मेरी चूडियाँ ।
मां एक रुनझुन पायल
पहना देना मेरे पांवों में
बजेगी जब पायल मेरी
झंकार होगी तेरे आंगन में।
मां दूर से ही मेरा होना
अनुभव कर लेना तुम
मुझे अपने आंचल में
भर लेना मां दो हाथों से तुम।
कुसुम कोठारी।
एक सूरज सा वर
ढूंढ दे री मैया मोरी
मां दिखा देना चुनर की
ओट से मूझे एक बारी।
मां रंगवा देना एक
नीले अंबर सी चुनर
सुन ना मां ! जड़वा देना
झिलमिलाते उसमें तारे।
मां चांद मत देना चाहे
चांदनी का गोटा लगा देना
मां छोटा सा घूंघट डाल
मुझे भी साजन घर जाना।
मां खनकती सतरंगी
पहना देना हाथों में चूड़ियाँ
याद आयेगी तेरी जब मां
मैं खनका दूंगी मेरी चूडियाँ ।
मां एक रुनझुन पायल
पहना देना मेरे पांवों में
बजेगी जब पायल मेरी
झंकार होगी तेरे आंगन में।
मां दूर से ही मेरा होना
अनुभव कर लेना तुम
मुझे अपने आंचल में
भर लेना मां दो हाथों से तुम।
कुसुम कोठारी।
हर किशोरी का बहुत ही मासूम स्वप्न होता हैं उसके शादी के बारे में ये। बहुत सुंदर,कुसुम दी।
ReplyDeleteमां एक रुनझुन पायल
ReplyDeleteपहना देना मेरे पांवों में
बजेगी जब पायल मेरी
झंकार होगी तेरे आंगन में।...वाह !! क्या ख़ूब लिखा सखी मन के भावों को अप्रतिम |
सादर
ReplyDeleteमां दूर से ही मेरा होना
अनुभव कर लेना तुम
मुझे अपने आंचल में
भर लेना मां दो हाथों से तुम।
बहुत ही भावपूर्ण, प्रणाम।
माँँ संग बीते दिनों की यादें भी कम सुखद नहीं होती है।
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteमां दूर से ही मेरा होना
ReplyDeleteअनुभव कर लेना तुम
मुझे अपने आंचल में
भर लेना मां दो हाथों से तुम
किशोरी का स्वप्न.... बहुत सुन्दर... भावपूर्ण सृजन....।
बहुत सुन्दर कुसुम जी !
ReplyDeleteआँखें भर आईं और अपनी दोंनों बेटियों की विदा की वेला याद आ गईं
बेटियां घर से भले ही विदा हो जाएं पर माँ-बाप के दिल में तो वो हमेशा रहती ही हैं.
दी...आपकआपकी यह कविता कल से अनगिनत बार पढ़ चुके हैं पर ऐसे शब्द ही नहीं मिल रहे कि इसकी सराहना कर सकें...दी बेहद उत्कृष्ट भावपूर्ण सृजन है। आपकी अन्य रचनाओं से पृथक अभिव्यक्ति बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteबधाई दी सुंदर सृजन के लिए।
पहना देना मेरे पांवों में
ReplyDeleteबजेगी जब पायल मेरी
झंकार होगी तेरे आंगन में।...वाह !!
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeleteसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.in