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Monday, 21 January 2019

एक नया गीत

आज नया एक गीत ही लिख दूं।

              वीणा का गर
              तार न झनके
              मन  का कोई
            साज ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं

               मीहिका से
           निकला है मन तो
            सूरज की कुछ
            किरणें लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।

               धूप सुहानी
            निकल गयी तो 
               मेहनत का
           संगीत ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।

             कुछ खग के
           कलरव लिख दूं
          कुछ  कलियों की
           चटकन लिख दूं
आज नया एक गीत ही लिख दूं।

           क्षितिज मिलन की
                मृगतृष्णा है
               धरा मिलन का
              राग ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।

                 चंद्रिका ने
              ढका विश्व को
              शशि प्रभा की
            प्रीत ही लिख दूं ।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।

              कुसुम कोठारी ।

14 comments:

  1. बेहद उम्दा गीत
    कलियों की चटकन.... कमाल.
    स्वागत है- ठीक हो न जाएँ 

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    1. जी शुक्रिया आपके प्रोत्साहन से लेखन को गति मिलेगी।
      सादर

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  2. बेहद खूबसूरत गीत....,
    वीणा का गर
    तार न झनके
    मन का कोई
    साज ही लिख दूं। ....., अप्रतिम...।

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    1. बहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली और मुझे खुशी सदा आपकी उपस्थिति वांछित है।
      सस्नेह ।

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  3. धूप सुहानी
    निकल गयी तो
    मेहनत का
    संगीत ही लिख दूं।
    आज नया एक गीत ही लिख दूं बेहतरीन रचना सखी 👌

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    1. प्रिय सखी बहुत सा आभार। सदा स्नेह बनाये रखें

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  4. आशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार ज्योति बहन ।

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना सखी
    सादर

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    1. ढेर सा स्नेह आभार सखी जी ।

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  6. वाह वाह नया गीत ही लिख दू ...बेहतरीन मीता

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    1. ढेर सा स्नेह आभार मीता।

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  7. आशान्वित करती सुंदर कविता..

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    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी।
      सस्नेह ।

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