आज नया एक गीत ही लिख दूं।
वीणा का गर
तार न झनके
मन का कोई
साज ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं
मीहिका से
निकला है मन तो
सूरज की कुछ
किरणें लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
धूप सुहानी
निकल गयी तो
मेहनत का
संगीत ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
कुछ खग के
कलरव लिख दूं
कुछ कलियों की
चटकन लिख दूं
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
क्षितिज मिलन की
मृगतृष्णा है
धरा मिलन का
राग ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
चंद्रिका ने
ढका विश्व को
शशि प्रभा की
प्रीत ही लिख दूं ।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
कुसुम कोठारी ।
वीणा का गर
तार न झनके
मन का कोई
साज ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं
मीहिका से
निकला है मन तो
सूरज की कुछ
किरणें लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
धूप सुहानी
निकल गयी तो
मेहनत का
संगीत ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
कुछ खग के
कलरव लिख दूं
कुछ कलियों की
चटकन लिख दूं
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
क्षितिज मिलन की
मृगतृष्णा है
धरा मिलन का
राग ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
चंद्रिका ने
ढका विश्व को
शशि प्रभा की
प्रीत ही लिख दूं ।
आज नया एक गीत ही लिख दूं।
कुसुम कोठारी ।
बेहद उम्दा गीत
ReplyDeleteकलियों की चटकन.... कमाल.
स्वागत है- ठीक हो न जाएँ
जी शुक्रिया आपके प्रोत्साहन से लेखन को गति मिलेगी।
Deleteसादर
बेहद खूबसूरत गीत....,
ReplyDeleteवीणा का गर
तार न झनके
मन का कोई
साज ही लिख दूं। ....., अप्रतिम...।
बहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली और मुझे खुशी सदा आपकी उपस्थिति वांछित है।
Deleteसस्नेह ।
धूप सुहानी
ReplyDeleteनिकल गयी तो
मेहनत का
संगीत ही लिख दूं।
आज नया एक गीत ही लिख दूं बेहतरीन रचना सखी 👌
प्रिय सखी बहुत सा आभार। सदा स्नेह बनाये रखें
Deleteआशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत स्नेह आभार ज्योति बहन ।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसादर
ढेर सा स्नेह आभार सखी जी ।
Deleteवाह वाह नया गीत ही लिख दू ...बेहतरीन मीता
ReplyDeleteढेर सा स्नेह आभार मीता।
Deleteआशान्वित करती सुंदर कविता..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार पम्मी जी।
Deleteसस्नेह ।