आओ सब मिल करें आचमन
भोर की लाली लाई
आदित्य आगमन की बधाई
रवि लाया एक नई किरण
संजोये जो,सपने सब हो पूरण
पा जायें सच में नवजीवन
उत्साह की सुनहरी धूप का उजास
भर दे सब के जीवन में उल्लास ।
साँझ ढले श्यामल चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!
नन्हें नन्हें दीप जला सब
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
दे आलोक, हरे हर तिमिर
त्याग अज्ञान मलीन आवरण
सब ओढ ज्ञान का परिधान पावन।
मानवता भाव रख अचल
मन में रह सचेत प्रतिपल
सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
क्षमा ,सजगता और परहितता
हो सब के रोम रोम में संचालन
सब प्राणी पाये सुख,आनंद
बोद्धित्व का हो घनानंद।
लोभ मोह जैसे अरि को हरा
दे ,जीवन को समतल धरा
बाह्य दीप मालाओं के संग
प्रदीप्त हो दीप मन अंतरंग
जीवन में जगमग ज्योत जले
धर्म ध्वजा सुरभित अंतर मन
सब जीव दया का पहन के वसन।
कुसुम कोठारी ।
भोर की लाली लाई
आदित्य आगमन की बधाई
रवि लाया एक नई किरण
संजोये जो,सपने सब हो पूरण
पा जायें सच में नवजीवन
उत्साह की सुनहरी धूप का उजास
भर दे सब के जीवन में उल्लास ।
साँझ ढले श्यामल चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!
नन्हें नन्हें दीप जला सब
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
दे आलोक, हरे हर तिमिर
त्याग अज्ञान मलीन आवरण
सब ओढ ज्ञान का परिधान पावन।
मानवता भाव रख अचल
मन में रह सचेत प्रतिपल
सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
क्षमा ,सजगता और परहितता
हो सब के रोम रोम में संचालन
सब प्राणी पाये सुख,आनंद
बोद्धित्व का हो घनानंद।
लोभ मोह जैसे अरि को हरा
दे ,जीवन को समतल धरा
बाह्य दीप मालाओं के संग
प्रदीप्त हो दीप मन अंतरंग
जीवन में जगमग ज्योत जले
धर्म ध्वजा सुरभित अंतर मन
सब जीव दया का पहन के वसन।
कुसुम कोठारी ।
बहुत सा स्नेह आभार भाई आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
ReplyDeleteवाह बेहतरीन रचना सखी
ReplyDelete
ReplyDeleteसाँझ ढले श्यामल चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!
नन्हें नन्हें दीप जला सब
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
बहुत सुंदर भाव
बहुत बहुत स्नेह आभार शशि भाई उत्साह वर्धन के लिये।
Deleteबहुत सुन्दर रचना आदरणीया कुसुम जी
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी !
ReplyDeleteमानवता भाव रख अचल
मन में रह सचेत प्रतिपल
सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
क्षमा ,सजगता और परहितता ....अप्रतिम भाव ।
ढेर सा स्नेह आभार सखी।
ReplyDeleteसस्नेह आभार ज्योति बहन उत्साह वर्धन के लिये
ReplyDeleteबहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला सदा स्नेह बनाये रखें ।
ReplyDeleteसस्नेह।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१४ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार श्वेता ।
Deleteबेहतरीन... लाजबाब...., सादर नमन आप को और आप की लेखनी को
ReplyDeleteसस्नेह कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है ढेर सा स्नेह आभार।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ... सब के प्राण अनत सुख की कामना के साथ मंगल स्वर ...
ReplyDeleteप्रवाहमय रचना है ...
जी बहुत बहुत आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का ।
Deleteसह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
ReplyDeleteक्षमा ,सजगता और परहितता
हो सब के रोम रोम में संचालन
सर्व मंगल भावों से सजी सुन्दर प्रस्तुति...
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का सस्नेह आभार सुधा जी ।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteजी सादर आभार प्रोत्साहन के लिए।
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