होली प्रीत की कोली
रंग भर घर से चली है
मग्न हो कर आज टोली
ढ़ाक खिलके मदमदाए
शीश वृक्षों के रँगोली।
केसरी सी हर दिशा है
फाग खेले हैं हवाएँ
व्योम से पिचकारियाँ भर
कौन रंगीला बहाएँ
श्वेत चुनरी पर ठसकती
इंद्र धनुषी सात मोली।।
छाब भरकर फूल लाया
मौसमी ऋतुराज माली
लोल लतिका झूम नाचे
अधखिले से अंगपाली
फाग का अनुराग जागा
स्वर्ण वर्णी ये निबोली।।
नेह का गागर छलकता
धूम है सब ओर भारी
हैं उमंगित बाल बाला
शीत है मन की अँगारी
फागुनी शृंगार महके
ये अबीरी सी ठिठोली।
गूँथ लो अनुराग रेशम
झूलता उपधान मंजुल
प्रेम की गंगा निकोरी
झुक भरो बस स्नेह अंजुल
आज होली कह रही है
प्रीति की तू बाँध कोली।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०३ -२०२२ ) को
'भोर का रंग सुनहरा'(चर्चा अंक-४३७३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हृदय से आभार आपका अनिता जी चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ओंकार जी।
Deleteसादर।
आदरणीया कुसुम कोठारी जी, नमस्ते👏!
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत अच्छी रचना!होली के शुभकामनाएँ!
गूँथ लो अनुराग रेशम
झूलता उपधान मंजुल
प्रेम की गंगा निकोरी
झुक भरो बस स्नेह अंजुल
आज होली कह रही है
प्रीति की तू बाँध कोली।।
--ब्रजेंद्रनाथ
जी आदरणीय आपकी विस्तृत सारगर्भित टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ,और लेखनी को नव ऊर्जा का आशीर्वाद मिला।
Deleteसादर आभार आपका।
बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन, उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया।
Deleteसस्नेह
गूँथ लो अनुराग रेशम
ReplyDeleteझूलता उपधान मंजुल
प्रेम की गंगा निकोरी
झुक भरो बस स्नेह अंजुल
मुग्ध करती अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ कुसुम जी !सादर सस्नेह…॥
सुंदर मोहक शब्दों से रचना को मान लेने के लिए हृदय से आभार मीना जी बहुत मनभावन प्रतिक्रिया।
Deleteरचना सार्थक हुई।
सस्नेह।
श्रृंगार रस से सराबोर अति उत्तम कृति के लिए हार्दिक बधाई। मनमोहक झांकियां एवं आकर्षक बिम्ब मंत्र मुग्ध कर रहा है। हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteविहंगम दृष्टि से अवलोकन कर के रचना पर गहन भाव प्रतिक्रिया से रचना को नये आयाम मिले अमृता जी मैं भाव विभोर हूँ ।
Deleteसस्नेह।
वाह ।
ReplyDeleteशानदार रचना ।
एक एक शब्द मन को छू रहे ।
बहुत शुभकामनाएँ ।
हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए, आपकी शुभकामनाएं सदा मेरा संबल है ।
Deleteसस्नेह।
हृदय से आभार आपका आलोक जी।
ReplyDeleteसादर।
ढा़क खिलके मदमदाए...
ReplyDeleteव्योम से पिचकारियाँ भर
कौन रंगीला बहाएँ
अहा !
मंत्रमुग्ध करता बहुत ही मनमोहक सृजन आकर्षक बिम्ब विधान ...बहुत ही लाजवाब
वाह!!!