स्वर सम्राज्ञी कभी नहीं जाएंगी।
मधुर स्वरों की सम्राज्ञी वो
कहां कभी जायेंगी कह दो
कंठ कंठ में ठहर गई है
श्वास-श्वास गायेगी कह दो।
कोकिला भी गर्वित होती
तुलना निज से जब सुनती थी
वागीश्वरी गले में रहती
नव स्वर बैठ सदा बुनती थी
वीणा के तारों में गूंथित
सदियों लहरायेगी कह दो।।
सुनने में गुलकंद से मीठी
गाने में मिश्री रस जैसी
कण-कण जैसे वीर रमे हैं
वात-वात रमती है ऐसी
देश दिशावर बाल वृद्ध हो
सब के मन भायेगी कह दो।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
ऐसी प्रतिभाएं जगती की
सुरपति भी जिनको करें नमन
हर देहरी पर छाप है उनकी
स्वरों का नहीं होंगा अगमन
संगीत नाद रव पावन वाणी
तीन भुवन छायेगी कह दो।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
नमन व श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteसादर आभार आपका।
Deleteप्रिय कुसुम बहन, ये रचना नहीं एक अनमोल रतन को खोने की पीड़ा है जो शब्दों में बह निकली है। पर लता जी संसार से विदा होने पर भी सदैव हमारे साथ रहेंगी। वे कहां नहीं , यत्र-तत्र-सर्वत्र उन्हीं के स्वर बिखरे हैं। कौन सी सुबह है जो उनके मधुर गीत में से शुरू नहीं होती और कौन सी शाम अनके
ReplyDeleteबिना ढलती है। वे अपने कोकिल स्वर से सदैव रहेंगी। फिर भी उनका जाना झझकोर गया। स्वर साम्राज्ञी को अश्रुपूरित नमन।🙏😞🙏😞🙏😞🙏😞🙏😞🙏😞🙏
हृदय से आभार आपका रेणु बहन, विस्तृत प्रतिक्रिया सार्थक उदगार।
Deleteसस्नेह
जीवन मरण तो नियम है।
ReplyDeleteसच में... एक कलाकार, एक साहित्यकार या एक संगीतज्ञ क्या सच में मर जाता है?
समर्पण भाव में रची ये रचना बहुत उम्दा है।
नमन। 💐💐
समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला
बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका सादर।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 08 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
kabhi meri rachna bhi sanjha kare aadarniy madam ji
Deleteadress hai againindian.blogspot.com
बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteपांच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।
मैं उपस्थित रहूंगी।
सादर।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-2-22) को "स्वर सम्राज्ञी कभी नहीं जाएंगी"(चर्चा अंक 4335)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
मैं चर्चा में उपस्थित रहूंगी।
Deleteये सदा उत्साह वर्धक होता है ।
हृदय से आभार आपका।
सादर सस्नेह।
लता दीदी के सम्मान में रचित ये गीत बहुत ही उत्तम और मनहर है, सुर साम्राज्ञी लता दीदी को शत शत नमन ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteसस्नेह।
स्वर सम्राज्ञी कभी नहीं जाएंगी
ReplyDelete–सत्य कथन
अनमोल धरोहर
बहुत बहुत आभार आपका विभा बहना।
Deleteसस्नेह।
स्वर साम्राज्ञी उस शिखर को छू चुकी थीं कि उनको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता । बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय संगीता जी।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुंदर रचना। स्वर कोकिला लता दीदी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
ReplyDeletesahi kaha
ReplyDeleteसादर आभार आपका।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteस्वर-साम्राज्ञी सुर-सुर में बस गयी सही कहा वो कहीं नहीं जायेंगी हर दिल में रमी रहेंगी सदियों सदियों तक।
स्वर-कोकिला की स्मृति एवं सम्मान में लाजवाब सृजन।
सस्नेह आभार सुधा जी रचना को समर्थन देती सुंदर प्रतिक्रिया।्
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