दिन उगे चाली पणिहारयाँ
उगती भोर सूरज चढ़तो
ऊँची पोळाँ पर रमतो।
सोनलिया धोरा़ँ रे ऊपर
खूब गुळाट्या भरतो।
आई आळी भोर सुहानी
हिलमिल भर ल्यावाँ पानी
पगलाँ री रिमझोल्या झमके
हाथा चूड़ो चम-चम चमके
राख ईंढूनी शीश बोरलो
झुटना झाला देवतो।
पनघट ऊपर खड्यो बटोही
भर घड़लो ऊँचवादे मोही
लें पानी नखराली चाली
छलक-छलक घड़लो खाली
सोला तो सिंगार भिजिया
लाल चुनरिया पानी झरतो।।
रतनार वरण की गुलनारी
आँख्याँ लाजा़ँ मरती भारी
लाल सिंदूरी रंग छलकतो
दप-दप रूप मलकतो
नैणा कजरी रेख पसरती
बिंब देख दर्पण मरतो।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५ -०२ -२०२२ ) को
'खलिश मन की ..'(चर्चा अंक-४३५१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हृदय से आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए। मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
Deleteसादर सस्नेह।
के करां, काम तो करण्यो पड़सी
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका।
Deleteसुंदर प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
सादर।
बहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत मधुर
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
सादर।
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका भारती जी।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सस्नेह।
सुन्दर
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
आई आळी भोर सुहानी
ReplyDeleteहिलमिल भर ल्यावाँ पानी
पगलाँ री रिमझोल्या झमके
हाथा चूड़ो चम-चम चमके
राख ईंढूनी शीश बोरलो
झुटना झाला देवतो।
राजस्थान की स्मृतियों को जीवंत करता मनोरम नवगीत ।पनघट पर नवविवाहित वधुओं का ऐसा सजीव शब्द चित्र मानो कैनवास पर खूबसूरत रेखांकन के चटकीले रंग सजीव हो गए हों।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया राजस्थान की सौंधी खुशबू से सराबोर है ,मन प्रसन्न हुआ मीना जी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका विभा बहना।
Deleteसस्नेह।
बहुत ही बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मनीषा, उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसस्नेह।
वाह! लाजवाब सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी उत्साह वर्धन के लिए।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर चित्रण...भावपूर्ण सृजन।
ReplyDeleteआपको पसंद आई लेखन सार्थक हुआ अमृता जी ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
आपरी लेखणी घणी सांतरी है …
ReplyDeleteअबै इण तरियां रचनावां पढण नैं मिळती रैसी … आ म्हारै खातर हरख री बात है… सौ सौ रंग !
🌻🌱घनो चोखो लिख्या🌻🌱
मोकळी बधाई और शुभकामनावां !
सौ सौ रंग !
घणों घणों आभार ,सौणी मोहक प्रतिक्रिया स्यूं लिखनो भले भरीज्यो ।
ReplyDeleteगणेश मान।
ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपरो।
बहुत सुंदर रचना सखी।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सखी।
Deleteआपकी स्नेहिल उपस्थिति से मन प्रसन्न हुआ।
सस्नेह।