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Thursday, 24 February 2022

दिन उगे चाली पणिहारयाँ


 दिन उगे चाली पणिहारयाँ


उगती भोर सूरज चढ़तो

ऊँची पोळाँ पर रमतो।

सोनलिया धोरा़ँ रे ऊपर

खूब गुळाट्या भरतो।


आई  आळी भोर सुहानी 

हिलमिल भर ल्यावाँ पानी

पगलाँ री रिमझोल्या झमके

हाथा चूड़ो चम-चम चमके

राख ईंढूनी शीश बोरलो

झुटना झाला देवतो।


पनघट ऊपर खड्यो बटोही

भर घड़लो ऊँचवादे मोही

लें पानी नखराली चाली

छलक-छलक घड़लो खाली

सोला तो  सिंगार भिजिया

लाल चुनरिया पानी झरतो।।


रतनार वरण की गुलनारी 

आँख्याँ लाजा़ँ मरती भारी

लाल सिंदूरी रंग छलकतो

दप-दप रूप मलकतो

नैणा कजरी रेख पसरती 

 बिंब देख दर्पण मरतो।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

24 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५ -०२ -२०२२ ) को
    'खलिश मन की ..'(चर्चा अंक-४३५१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हृदय से आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए। मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  2. के करां, काम तो करण्यो पड़सी

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    1. हृदय से आभार आपका।
      सुंदर प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर।

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  3. बहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत मधुर

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर।

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  4. बेहतरीन रचना

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    1. हृदय से आभार आपका भारती जी।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सस्नेह।

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  5. Replies
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  6. आई आळी भोर सुहानी
    हिलमिल भर ल्यावाँ पानी
    पगलाँ री रिमझोल्या झमके
    हाथा चूड़ो चम-चम चमके
    राख ईंढूनी शीश बोरलो
    झुटना झाला देवतो।
    राजस्थान की स्मृतियों को जीवंत करता मनोरम नवगीत ।पनघट पर नवविवाहित वधुओं का ऐसा सजीव शब्द चित्र मानो कैनवास पर खूबसूरत रेखांकन के चटकीले रंग सजीव हो गए हों।

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    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया राजस्थान की सौंधी खुशबू से सराबोर है ,मन प्रसन्न हुआ मीना जी बहुत बहुत आभार आपका।
      सस्नेह।

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    1. हृदय से आभार आपका विभा बहना।
      सस्नेह।

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  8. बहुत ही बेहतरीन रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मनीषा, उत्साह वर्धन हुआ।
      सस्नेह।

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  9. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी उत्साह वर्धन के लिए।
      सस्नेह।

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  10. सुन्दर चित्रण...भावपूर्ण सृजन।

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    1. आपको पसंद आई लेखन सार्थक हुआ अमृता जी ।
      सस्नेह आभार आपका।

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  11. आपरी लेखणी घणी सांतरी है …
    अबै इण तरियां रचनावां पढण नैं मिळती रैसी … आ म्हारै खातर हरख री बात है… सौ सौ रंग !

    🌻🌱घनो चोखो लिख्या🌻🌱
    मोकळी बधाई और शुभकामनावां !

    सौ सौ रंग !

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  12. घणों घणों आभार ,सौणी मोहक प्रतिक्रिया स्यूं लिखनो भले भरीज्यो ।
    गणेश मान।
    ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपरो।

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  13. बहुत सुंदर रचना सखी।

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    1. हृदय से आभार आपका सखी।
      आपकी स्नेहिल उपस्थिति से मन प्रसन्न हुआ।
      सस्नेह।

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