अवनि से अंबर तक दे सुनाई
मौसम का रुनझुन संगीत ,
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाएं गाये मधुर गीत।
कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल-खिल जाय बंद कली ,
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
धरा नव रंगो का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी, द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।
सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती ,
मंदिर शीश कंगूरे चमके
क्यों पावन बेला तूं खोती।
कुसुम कोठारी।
मौसम का रुनझुन संगीत ,
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाएं गाये मधुर गीत।
कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल-खिल जाय बंद कली ,
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
धरा नव रंगो का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी, द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।
सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती ,
मंदिर शीश कंगूरे चमके
क्यों पावन बेला तूं खोती।
कुसुम कोठारी।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 17 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद
ReplyDeleteजी सादर आभार।
Delete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
जी बहुत बहुत आभार।
Deleteसस्नेह।
प्रकृति का मनोरम अंकन..बहुत सुन्दर रचना कुसुम जी ।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार मीना जी
Deleteसरनेम।
प्रकृति की मनोरम प्रस्तुति कुसुम जी
ReplyDeleteजी बहुत सा आभार रीतु जी ।
Deleteजी बहुत बहुत आभार आपका रीतु जी ।
Deleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteकह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
बहुत बहुत आभार आपका पुरूषोत्तम जी।
Deleteकैसी ऋतु बौराई मन बौराया
ReplyDeleteखिल-खिल जाय बंद कली ,
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
वाह!!बेहद खूबसूरत रचना सखी
सस्नेह आभार आपका प्रिय सखी ।
Deleteभोर का आगमन पूरी श्रृष्टि में नव संचार कर जाता है ... प्राकृति के इस खूबसूरत क्षण को बाखूबी शब्दों में कैद किया है आपने ...
ReplyDeleteजी ढेर सा आभार आपका नासा जी ।
Deleteसादर ।
कुसुम दी, प्रकृति के सौंदर्य को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार प्रिय बहन ।
Deleteसस्नेह।
सादर आभार आपका ।
ReplyDeleteधरा नव रंगो का पहने चीर
ReplyDeleteफूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी, द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन । प्रिय कुसुम बहन आपका मनभावन लेखन छायावादी कवियों की याद दिलाता है | मनमोहक शब्दों से सजा सुंदर काव्य चित्र | सस्नेह आभार |