Friday, 16 August 2019

मौसम का संगीत

अवनि से अंबर तक दे सुनाई
मौसम का  रुनझुन  संगीत ,
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाएं गाये मधुर गीत।

कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल-खिल जाय बंद कली ,
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।

धरा नव रंगो का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी, द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।

सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती ,
मंदिर शीश कंगूरे चमके
क्यों पावन बेला तूं खोती।

       कुसुम कोठारी।

19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 17 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद

    ReplyDelete

  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार।
      सस्नेह।

      Delete
  3. प्रकृति का मनोरम अंकन..बहुत सुन्दर रचना कुसुम जी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार मीना जी
      सरनेम।

      Delete
  4. प्रकृति की मनोरम प्रस्तुति कुसुम जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत सा आभार रीतु जी ।

      Delete
    2. जी बहुत बहुत आभार आपका रीतु जी ।

      Delete
  5. सुंदर रचना।
    कह दो उड़-उड़ आसमानों से
    रुत सुहानी आई मनभाई भली।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका पुरूषोत्तम जी।

      Delete
  6. कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
    खिल-खिल जाय बंद कली ,
    कह दो उड़-उड़ आसमानों से
    रुत सुहानी आई मनभाई भली।
    वाह!!बेहद खूबसूरत रचना सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका प्रिय सखी ।

      Delete
  7. भोर का आगमन पूरी श्रृष्टि में नव संचार कर जाता है ... प्राकृति के इस खूबसूरत क्षण को बाखूबी शब्दों में कैद किया है आपने ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ढेर सा आभार आपका नासा जी ।
      सादर ।

      Delete
  8. कुसुम दी, प्रकृति के सौंदर्य को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार प्रिय बहन ।
      सस्नेह।

      Delete
  9. सादर आभार आपका ।

    ReplyDelete
  10. धरा नव रंगो का पहने चीर
    फूलों में रंगत मनभावन
    सजे रश्मि सुनहरी, द्रुम दल
    पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन । प्रिय कुसुम बहन आपका मनभावन लेखन छायावादी कवियों की याद दिलाता है | मनमोहक शब्दों से सजा सुंदर काव्य चित्र | सस्नेह आभार |

    ReplyDelete