. " विश्वेश्वर"
वो है निर्लिप्त निरंकार वो प्रीत क्या जाने
ना राधा ना मीरा बस " रमा " रंग है राचे,
आया था धरा को असुरो से देने मुक्ति,
आया था आते कलियुग की देने चेतावनी,
आया था देने कृष्ण बन गीता का वो ज्ञान,
आया था समझाने कर्म की महत्ता,
आया था त्रेता के कुछ वचन करने पुरे,
आया जन्म लेकर कोख से ,
इसलिये रचाई बाल लीलाऐं नयनाभिराम ,
सांसारी बन आया तो रहा भी
बन मानव की दुर्बताओं के साथ,
वही सलौना बालपन ,वही ईर्ष्या,
वही मैत्री ,वही शत्रुता ,वही मोह
वही माया वही भोग वही लिप्सा ,अभिलाषा ,
वही बदलती मनोवृति,
जो कि है मानव के नैसर्गिक गुण ।
वो आया था जगाने स्वाभिमान ,
सिखाने निज अस्तित्व हित संघर्ष करना,
मनुष्य सब कुछ करने में है सक्षम ,
ये बताने आया प्रत्यक्ष मानव बन ।
नही तो बैठ बैकुंठ में सब साध लेता,
क्यों आता अजन्मा इस धरा पर ,
हमे समझाने आया कि सब कुछ
तू कर सकता ,नही तू नारायण से कम,
बस मार्ग भटक के तू खोता निज गरिमा,
भूला अंहकार वश तूं बजरंगी सा
अपनी सारी पावन शक्तियां ।
कुसुम कोठारी।
वो है निर्लिप्त निरंकार वो प्रीत क्या जाने
ना राधा ना मीरा बस " रमा " रंग है राचे,
आया था धरा को असुरो से देने मुक्ति,
आया था आते कलियुग की देने चेतावनी,
आया था देने कृष्ण बन गीता का वो ज्ञान,
आया था समझाने कर्म की महत्ता,
आया था त्रेता के कुछ वचन करने पुरे,
आया जन्म लेकर कोख से ,
इसलिये रचाई बाल लीलाऐं नयनाभिराम ,
सांसारी बन आया तो रहा भी
बन मानव की दुर्बताओं के साथ,
वही सलौना बालपन ,वही ईर्ष्या,
वही मैत्री ,वही शत्रुता ,वही मोह
वही माया वही भोग वही लिप्सा ,अभिलाषा ,
वही बदलती मनोवृति,
जो कि है मानव के नैसर्गिक गुण ।
वो आया था जगाने स्वाभिमान ,
सिखाने निज अस्तित्व हित संघर्ष करना,
मनुष्य सब कुछ करने में है सक्षम ,
ये बताने आया प्रत्यक्ष मानव बन ।
नही तो बैठ बैकुंठ में सब साध लेता,
क्यों आता अजन्मा इस धरा पर ,
हमे समझाने आया कि सब कुछ
तू कर सकता ,नही तू नारायण से कम,
बस मार्ग भटक के तू खोता निज गरिमा,
भूला अंहकार वश तूं बजरंगी सा
अपनी सारी पावन शक्तियां ।
कुसुम कोठारी।
वो आया था जगाने स्वाभिमान ,
ReplyDeleteसिखाने निज अस्तित्व हित संघर्ष करना,
मनुष्य सब कुछ करने में है सक्षम ,
ये बताने आया प्रत्यक्ष मानव बन ।
नही तो बैठ बैकुंठ में सब साध लेता,
क्यों आता अजन्मा इस धरा पर , बहुत सुंदर और सार्थक सृजन सखी
प्रिय सखी आपकी प्रतिक्रिया से मन को संतोष मिला ।
Deleteसस्नेह आभार बहुत सा।
साभार शिवम् जी।
ReplyDeleteमेरे लिए यह हर्ष और सौभाग्य की बात है।
पुरी ब्लाग बुलेटिन टीम को जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
सादर।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteअभिभूत हूं मैं !अपने ब्लाग पर आपका स्वागत है कविता जी
Deleteसादर आभार।
बहुत सुन्दर और लाजवाब सृजन कुसुम जी ..भगवान कृष्ण के जन्मदिन के सुअवसर पर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना सी सुकून देती आपकी उपस्थिति।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुंदर प्रस्तूति, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत सा स्नेह आभार ज्योति बहन आपका ।
Deleteवाह वाह शब्दों का चयन संयोजन व् शैली बहुत ही प्रभावित करने वाली | आपका अनुसरक बन गया हूँ ताकि अब नियमित आपको पढता रहूं | शुक्रिया
ReplyDeleteअजय कुमार जी आपका ब्लाग पर सहर्ष स्वागत ।
Deleteआपकी सुरूचिपूर्ण प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला और मुझे उत्साह।
सदा सहयोग बना रखें ।
सादर।
ohhhhhh
ReplyDeletebhasha shaili ki aapki pakadh kaabil e tareef...bahut hi sashak rchnaa
bdhaayi
ज़ोया जी तहे दिल से शुक्रिया आपका स्नेह बनाए रहे ।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर प्रस्तुति उस देवाधिदेव सकल चराचर के स्वामी की महिमा का आदि न अंत
ReplyDeleteयोगी राज ने अपने योग से प्रतक्ष सबके बीच आ कर्म का सिद्धांत दिया ... अपने आचरण को शुद्ध करके जीवन जीने का राह सुझाया ...
ReplyDeleteजय जय श्री कृष्ण राधे ...
श्री कृष्णजन्माष्टमी पर आपने अजन्मे का जिसतरह स्वागत किया है कुसुम जी, अद्भुत है... हमे समझाने आया कि सब कुछ
ReplyDeleteतू कर सकता ,नही तू नारायण से कम,
बस मार्ग भटक के तू खोता निज गरिमा,
भूला अंहकार वश तूं बजरंगी सा
अपनी सारी पावन शक्तियां ।...वाह
बहुत प्यारी और कृष्ण भगवन के प्रति अनन्य अनुराग भावों से सुसज्जित रचना प्रिय कुसुम बहन | सचमुच अजन्मा रहकर ईश्वर कब कोई लीला कर पाने में सक्षम होता | उसके लिए मानव रूप में अवतार की आवश्यकता तो होनी ही थी | श्री कृष्ण युग नायक बनने के योग्य हुए वह बाल लीला से लकर महाभारत तक की लीलाओं का ही परिणाम था | सचमुच उनकी लीला किसी भी वर्णन से परे है | अध्यात्म के रंग रंगी सुंदर , सुबोध रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |
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ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -8 -2020 ) को "कृष्ण तुम पर क्या लिखूं!" (चर्चा अंक 3790) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा