यादों का पपीहा
शजर ए हयात की शाख़ पर
कुछ स्याह कुछ संगमरमरी
यादों का पपीहा।
खट्टे मीठे फल चखता गीत सुनाता
उड़-उड़ इधर-उधर फूदकता
यादों का पपीहा।
आसमान के सात रंग पंखों में भरता
सुनहरी सूरज हाथों में थामता
यादों का पपीहा।
चाँद से करता गुफ़्तगू बैठ खिडकी पर
नींद के बहाने बैठता बंद पलकों पर
यादों का पपीहा।
टुटी किसी डोर को फिर से जोड़ता
समय की फिसलन पर रपटता
यादों का पपीहा।
जीवन राह पर छोड़ता कदमों के निशां
निड़र हो उड़ जाता थामने कहकशाँ
यादों का पपीहा।
कुसुम कोठारी।
चाँद से करता गुफ़्तगू बैठ खिडकी पर
ReplyDeleteनीदं के बहाने बैठता बंद पलकों पर
यादों का पपीहा। वाह बेहतरीन रचना सखी 👌
सखी आपकी उपस्थिति सदा ही मन को प्रसन्नता देती है।
Deleteसस्नेह आभार आपका
समय की फिसलन पर रपटता
ReplyDeleteयादों का पपीहा।..... बहुत सही!!!
जी सादर आभार आपका प्रोत्साहन मिला सक्रिय प्रतिक्रिया से।
Deleteवाह.. शब्दों से परे..
ReplyDeleteनिड़र हो उड़ जाता थामने कहकशाँ
यादों का पपीहा।.
बहुत बहुत स्नेह सुधा जी इतनी प्यारी सराहना से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह।
बहुत खूब प्रिय कुसुम बहन, समय की फिसलन पर रपटता ये यादो का पपीहा बड़ा प्यारा है। मानवीकरण अलंकार से सुसज्जित अत्यंत भाव पूर्ण सृजन। हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार आपके लिए। 💐💐🌹🌹💐
ReplyDeleteअशेष आभार बहन बहुमूल्य समय में से इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के साथ आप को देख मन खुश हुवा और आपका प्यार पा मैं और रचना दोनों प्रणवान हुवे।
Deleteसस्नेह आभार ।
खट्टे मीठे फल चखता गीत सुनाता
ReplyDeleteउड़-उड़ इधर-उधर फूदकता
यादों का पपीहा।......बेहतरीन दी जी
बहुत बहुत आभार बहना आपकी प्यारी प्रतिक्रिया से उर्जा मिली ।
Deleteसस्नेह।
शजर ए हयात की शाख़ पर
ReplyDeleteकुछ स्याह कुछ संगमरमरी
यादों का पपीहा।
बहुत आकर्षक...यादों का पपीहा.. बेहतरीन सृजन कुसुम जी ।
बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से मन को खुशी मिलती है।
Deleteसस्नेह।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 11 जून 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार पम्मी जी।
Deleteमेरी रचना पांच लिंकों पर ले जाने का तहेदिल से शुक्रिया।
यादें कहाँ कहाँ पहुँच जाती हैं ...
ReplyDeleteकौन उन्हें रोक सकता है, कौन उनका पार पाता है ...
भावपूर्ण रचना ...
बहुत खूब लिखा है आपने!!!
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !
बहुत खुब। स्वयं शून्य
ReplyDelete