Followers

Saturday, 8 June 2019

यादों का पपीहा


यादों का पपीहा

शजर ए हयात की शाख़ पर
कुछ स्याह कुछ संगमरमरी
यादों का पपीहा।

खट्टे मीठे फल चखता गीत सुनाता
उड़-उड़ इधर-उधर फूदकता
यादों का पपीहा।

आसमान के सात रंग पंखों में भरता
सुनहरी सूरज हाथों में थामता
यादों का पपीहा।

चाँद से करता गुफ़्तगू बैठ खिडकी पर
नींद के बहाने बैठता बंद पलकों पर
यादों का पपीहा।

टुटी किसी डोर को फिर से जोड़ता
समय की फिसलन पर रपटता
यादों का पपीहा।

जीवन राह पर छोड़ता कदमों के निशां
निड़र हो उड़ जाता थामने कहकशाँ
यादों का पपीहा।

                 कुसुम कोठारी।

17 comments:

  1. चाँद से करता गुफ़्तगू बैठ खिडकी पर
    नीदं के बहाने बैठता बंद पलकों पर
    यादों का पपीहा। वाह बेहतरीन रचना सखी 👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. सखी आपकी उपस्थिति सदा ही मन को प्रसन्नता देती है।
      सस्नेह आभार आपका

      Delete
  2. समय की फिसलन पर रपटता
    यादों का पपीहा।..... बहुत सही!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार आपका प्रोत्साहन मिला सक्रिय प्रतिक्रिया से।

      Delete
  3. वाह.. शब्दों से परे..
    निड़र हो उड़ जाता थामने कहकशाँ
    यादों का पपीहा।.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत स्नेह सुधा जी इतनी प्यारी सराहना से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  4. बहुत खूब प्रिय कुसुम बहन, समय की फिसलन पर रपटता ये यादो का पपीहा बड़ा प्यारा है। मानवीकरण अलंकार से सुसज्जित अत्यंत भाव पूर्ण सृजन। हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार आपके लिए। 💐💐🌹🌹💐

    ReplyDelete
    Replies
    1. अशेष आभार बहन बहुमूल्य समय में से इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के साथ आप को देख मन खुश हुवा और आपका प्यार पा मैं और रचना दोनों प्रणवान हुवे।
      सस्नेह आभार ।

      Delete
  5. खट्टे मीठे फल चखता गीत सुनाता
    उड़-उड़ इधर-उधर फूदकता
    यादों का पपीहा।......बेहतरीन दी जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार बहना आपकी प्यारी प्रतिक्रिया से उर्जा मिली ।
      सस्नेह।

      Delete
  6. शजर ए हयात की शाख़ पर
    कुछ स्याह कुछ संगमरमरी
    यादों का पपीहा।
    बहुत आकर्षक...यादों का पपीहा.. बेहतरीन सृजन कुसुम जी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से मन को खुशी मिलती है।
      सस्नेह।

      Delete


  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 11 जून 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार पम्मी जी।
      मेरी रचना पांच लिंकों पर ले जाने का तहेदिल से शुक्रिया।

      Delete
  8. यादें कहाँ कहाँ पहुँच जाती हैं ...
    कौन उन्हें रोक सकता है, कौन उनका पार पाता है ...
    भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब लिखा है आपने!!!
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !

    ReplyDelete