बाल कविता- नीम
आंगन में नीम एक
देता छांव घनेरी नेक
हवा संग डोलता
मीठी वाणी बोलता
पंछियों का वास
नीड़ था एक खास
चीं चपर की आती
ध्वनि मन भाती
हवा सरसराती
निंबोलियां बिखराती
मुनिया उठा लाती
बड़े चाव से खाती
कहती अम्मा सब अच्छे हैं
पर ये पंछी अक्ल के कच्चे हैं
देखो अनपढ़ लगते मोको
कहदो इधर उधर बिंट ना फेंको
सरपंच जी तक बात पहुंचा दें
इनके लिये शोचालय बनवा दें
अगर करे ये आना कानी
जहां तहां करे मन-मानी
साफ करो खुद लावो पानी
तब इन्हें भी याद आयेगी नानी।
(मुनिया एक देहाती लड़की जो आंगन में झाड़ू लगाती है हर दिन।)
कुसुम कोठारी
आंगन में नीम एक
देता छांव घनेरी नेक
हवा संग डोलता
मीठी वाणी बोलता
पंछियों का वास
नीड़ था एक खास
चीं चपर की आती
ध्वनि मन भाती
हवा सरसराती
निंबोलियां बिखराती
मुनिया उठा लाती
बड़े चाव से खाती
कहती अम्मा सब अच्छे हैं
पर ये पंछी अक्ल के कच्चे हैं
देखो अनपढ़ लगते मोको
कहदो इधर उधर बिंट ना फेंको
सरपंच जी तक बात पहुंचा दें
इनके लिये शोचालय बनवा दें
अगर करे ये आना कानी
जहां तहां करे मन-मानी
साफ करो खुद लावो पानी
तब इन्हें भी याद आयेगी नानी।
(मुनिया एक देहाती लड़की जो आंगन में झाड़ू लगाती है हर दिन।)
कुसुम कोठारी
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह !! बहुत प्यारी बाल कविता कुसुम जी ! कविता की समाप्ति के बाद नीम के पेड़ और मुनिया का कल्पना चित्र उभर आया मन में ।
ReplyDeleteबहुत बहुत स्नेह मीना जी बाल कविता का उद्देश्य संदेश और रोचकता एक साथ अगर बरकरार रहे तो कविता सार्थक समझूं।
Deleteसस्नेह ।
कुसुम दी, पंछियों के लिए शौचालय बनाने की बात बिल्कुल नई कल्पना हैं। वैसे हमारे देश मे अभी इंसानों के लिए ही पर्याप्त शौचालय नहीं हैं, तो....खैर, जब हम कुछ अच्छा सोंचेंगे तभी तो अच्छा होगा न!बहुत सुंदर।
ReplyDeleteप्रिय ज्योति बहन स्नेह आभार ।
Deleteबाल कविता है तो कुछ तो बाल्को जैसा हो, और फिर कविता का उद्देश्य बच्चों को सफाई का संदेश है। पंछी तो बिंब मात्र है ।
बहुत सा स्नेह।
वाह बेहद शानदार सृजन
ReplyDeleteसस्नेह आभार सीमा जी ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सुखद।
Deleteबेहद खूबसूरत रचना सखी
ReplyDelete