अपनी तपन से तपा
अपनी गति से थका
लेने विश्राम ,शीतलता
देखो भास्कर उतरा
सिन्धु प्रांगन मे
करने आलोल किलोल ,
सारी सुनहरी छटा
समेटे निज साथ
कर दिया सागर को
रक्क्तिम सुनहरी ,
शोभित सारा जल
नभ भूमण्डल
एक डुबकी ले
फिर नयनो से ओझल,
समाधिस्थ योगी सा
कर साधना पूरी
कल फिर नभ भाल को
कर आलोकित स्वर्ण रेख से
क्षितिज का श्रृंगार करता
अंबर चुनर रंगता
आयेगा होले होले,
और सारे जहाँ पर
कर आधिपत्य शान से
सुनहरी सात घोड़े का सवार
चलता मद्धम गति से
हे उर्जामय नमन तूझे।
कुसुम कोठारी।
अपनी गति से थका
लेने विश्राम ,शीतलता
देखो भास्कर उतरा
सिन्धु प्रांगन मे
करने आलोल किलोल ,
सारी सुनहरी छटा
समेटे निज साथ
कर दिया सागर को
रक्क्तिम सुनहरी ,
शोभित सारा जल
नभ भूमण्डल
एक डुबकी ले
फिर नयनो से ओझल,
समाधिस्थ योगी सा
कर साधना पूरी
कल फिर नभ भाल को
कर आलोकित स्वर्ण रेख से
क्षितिज का श्रृंगार करता
अंबर चुनर रंगता
आयेगा होले होले,
और सारे जहाँ पर
कर आधिपत्य शान से
सुनहरी सात घोड़े का सवार
चलता मद्धम गति से
हे उर्जामय नमन तूझे।
कुसुम कोठारी।
अति सुन्दर वर्णन सवितू कर्म का ...मीता
ReplyDeleteस्नेह आभार।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभास्कर समाधिस्थ योगी सा
ReplyDeleteक्षितिज का श्रृंगार करता
अम्बर चुनर रंगता
वाह!!!
बहुत सुन्दर...
लाजवाब
सादर आभार सखी।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना, सांझ का अति सुन्दर वर्णन 👏 👏 👏 वाह
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना, सांझ का अति सुन्दर वर्णन 👏 👏 👏 वाह
ReplyDeleteआभार।
Deleteआपकी लिखी रचना आज के "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 15 एप्रिल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteभूल सुधार.. "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 22 एप्रिल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह्हह दी लाज़वाब...आपके द्वारा खींचा गया शब्दचित्र बेहद खूबसूरत है। शब्द चयन तो क्या कहने..वाह्ह्ह👌👌
ReplyDeleteआदरणीय कुसुम दी
ReplyDeleteइतनी सुन्दर शब्द रचना कि तपता सूर्य भी दिल में शीतलता महसूस कराता हुआ प्रतीत हो रहा है . बेहद खूबसूरत रचना
सादर