हां मै पागल हूं
मां हूं ना!!
अपना बचपन देखा उसमे
मेरा अंश है वो
मां हूं मैं ।
मेरी प्रतिछाया
मेरी फलती आशा
चित्रकार हूं मैं।
पल पल जीया
उसे अपने अंदर
जननी हूं मैं ।
साकार हुवा सपना
उसे देख कर
पूर्ण तृप्ता हूं मैं ।
मैं गर्वित हूं
विधाता की तरह
रचना कार हूं मैं ।
खिला रहे शाश्वत वो
मेरी बगिया मे
बागबां हूं मै ।
सम्मान देता भगवान
सम, मूझ से कहता
पालन हार हूं मैं।
कुसुम कोठरी।
मां हूं ना!!
अपना बचपन देखा उसमे
मेरा अंश है वो
मां हूं मैं ।
मेरी प्रतिछाया
मेरी फलती आशा
चित्रकार हूं मैं।
पल पल जीया
उसे अपने अंदर
जननी हूं मैं ।
साकार हुवा सपना
उसे देख कर
पूर्ण तृप्ता हूं मैं ।
मैं गर्वित हूं
विधाता की तरह
रचना कार हूं मैं ।
खिला रहे शाश्वत वो
मेरी बगिया मे
बागबां हूं मै ।
सम्मान देता भगवान
सम, मूझ से कहता
पालन हार हूं मैं।
कुसुम कोठरी।
माँ की ममता सबसे न्यारी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
जी ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया के साथ उपस्थिति का सादर आभार।
Deleteप्रिय कुसुम जी -- आत्मगर्वा मातृशक्ति को समर्पित बेहद मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ |रोम रोम को सहला गयी --
ReplyDeleteसचमुच ईश्वर की तरह रचनाकार है माँ ,
तभी तो कहते हैं उसी का रूप साकार है माँ~!!!!!!!!!!!!!! सस्नेह
आपकी स्नेहिल उपस्थिति और रचना को समर्थन देती सुंदर प्रति पंक्तियों का तहे दिल से आभार प्रिय बहन।
Deleteअप्रतिम ....मीता हृदय नम हो गया
ReplyDeleteमात्रत्व को परिभाषित किया शब्दों मैं
भाव विहंगम डाल
धन्यवाद हर मात का
स्वीकारो कवि आप
स्वीकारो कवि आप
स्वीकारें कवि आप
हर माता को सुख पहुँचाया
त्रासित होती जन्म देती
पर दूजी काया !
नमन
वाह मीता आपकी भाव भीगी हृदय छूती प्रतिक्रिया का आभार नही बस स्नेह और स्नेह।
Deleteवाह मीया मातृत्व को गर्वित करती ह।दय को द्रवित करती आपकी रचना उत्कृष्टता का अंबर छू गई। वाह!!!
ReplyDeleteआपकी सराहना भाव विहल कर गई मीता। ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति बहुत सुकून देती सी स्नेह आभार।
Deleteमाँ की ममता और प्रेम सहज बहती है ह्रदय से ...
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना है ...
जी सादर आभार आपकी सार्थक प्रतिक्रिया का।
Deleteवाकइ थोड़ी भोली थोड़ी सुंदर थोड़ी पगली होती है माँ
ReplyDeleteउसे समझना मुश्किल है हर वक़्त अपने बच्चों के ख्याल में डूबी निश्छल निस्वार्थ माँ
माँ को अर्पित बेहद सुंदर उत्क्रष्ट रचना 🙇
स्नेह आभार आंचल जी आपकी प्रतिक्रिया रचना को व्याख्यात्मक विस्तार देती सी।
Deleteजी सादर आभार मेरी रचना के लिये ये सम्माननिय विषय है मै लोक तंत्र संवाद पर आकर स्वयं को अनुग्रहित समझूंगी। पुनःआभार।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-5-22) को "अप्रतिम सौन्दर्य"(चर्चा अंक 4425) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
माँ काँ ममत्व अनमोल है । अतुलनीय सृजन कुसुम जी!
ReplyDeleteawesome and nice information, thanks for sharing admin.
ReplyDeleteraatan lambiyan lyrics
hanuman chalisa
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