फाल्गुन आयो मतवारो
रंग और नूर लिये आली
आवन की आहट लिये
घुले सप्त रंग मधुर आली
ए
सरस मलय संग उडी उडी
बन मे चले पात रंगीन
गुंचा गुंचा महक चला,
भ्रमर करत गूंजार आली
पिय आवन की आस
हृदय लिये बैठी विरहन
पनघट पे सज श्रृंगार
आई भोली गुजरिया आली
फाग खेलन पीव आयेंगे
मन लिये चाव घनेरो
जल्दी मे पायल अटरिया पे
छोड धाई आई आली।
कुसुम कोठारी।
वाह!!! बहुत खूब.... लाजवाब
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
आभार सखी ।
Deleteबेहद लाज़वाब रचना दी...फाग का रंग मानो प्रकृति के कण-कण को सुवासित कर रहा हो।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर लिखा आपने...वाह्ह्ह👌👌👌
स्नेह आभार श्वेता ।
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