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Wednesday, 14 February 2018

किरणों के घुंघरू

उषा ने सुरमई शैया से
अपने सिंदूरी पांव उतारे
पायल छनकी
बिखरे सुनहरी किरणों के घुंघरू
फैल गये अम्बर में
उस क्षोर से क्षितिज तक
मचल उठे धरा से मिलने
दौड़ चले आतुर हो
खेलते पत्तियों से
कुछ पल द्रुम दलों पर ठहरे
श्वेत ओस को
इंद्रधनुषी बाना पहना चले
नदियों की कल कल में
स्नान कर पानी मे रंग घोलते
लाजवन्ती को होले से
छूते प्यार से
अरविंद में नव जीवन का
संदेश देते
कलियों फूलों में
लुभावने रंग भरते
हल्की बरसती झरनों की
फुहारों पर इंद्रधनुष रचते
छन्न से धरा का
आलिंगन करते,
जन जीवन को
नई हलचल देते
सारे विश्व पर अपनी
आभा छिटकाते
सुनहरी किरणों के घुंघरू। 

         कुसुम कोठारी।

24 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. बेहतरीन रचना। प्रकृति की मोहक छटा और भोर का अति कोमल वर्णन मन को गुदगुदा गया। बधाई आदरणीय कुसुम जी।

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  3. बहुत सुंदर रचना
    प्रकृति का कोमल चित्रण ओर जीवन
    सादर

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    1. जी अभिभूत हूई सादर।

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  4. अप्रतिक काव्य, मोहक प्रकृति चित्रण. भोर का सुन्दर रेखांकन.
    सादर

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  5. अप्रतिक काव्य, मोहक प्रकृति चित्रण. भोर का सुन्दर रेखांकन.
    सादर

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    1. ढेर सा आभार स्नेही अपर्णा जी।

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  6. प्रातःकालीन आभा का सूक्ष्म व मनोरम वर्णन है । इस सुंदर
    रचना के लिए आपको बधाई है कुसुम जी ।

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    1. भाव भीनी प्रतिक्रिया का स्नेह आभार।

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  7. सुंदर, काव्य रस से भरी मधुर रचना

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    1. जी काव्य मर्मज्ञों का स्नेह मिला रचना सार्थक हुई
      सादर आभार।

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  8. प्राकृति के रंगों में किरणों की आभा लिए सुंदर शब्द ...

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    1. सुंदर सराहना, सादर आभार

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  9. अद्भुत प्रकृति की अद्भुत चितेरी हो आप ..आपके लेखन में प्रकृति जीवंत हो चपल हो उठती है मीता सुप्रभात ...

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    1. रचना को संबल देती आपकी इतनी प्यारी प्रतिक्रिया से मन आनंदित हुवा मीता, रचना के भाव आप सब तक पहुंचे और मेरा लेखन सार्थक हुवा ।
      स्नेह आभार मीता ।

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना 👌

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    1. प्यार भरा आभार सखी, उत्साह बढ़ जाता है स्नेही जन की सक्रियता से।

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  11. रचना का नाम ही कमाल है प्रिय कुसुम बहन | किरणों के घुंघरू कितनी सुखद , मधुर कल्पना है |रचना तो है ही अच्छी | सस्नेह --

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    1. ओहो प्रिय रेनू बहन मैं अभिभूत हुई सच खनक उठे मन आकाश पर किरणों के घूंघरु,
      आपकी सराहना सूर्य किरण सम उर्जा देती है।
      आभार नही बस स्नेह और स्नेह ।

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