Thursday, 8 February 2018

फाल्गुन आयो मतवारो











फाल्गुन आयो  मतवारो
रंग और नूर लिये आली
आवन की आहट लिये
घुले सप्त रंग मधुर आली

सरस मलय संग उडी उडी
बन मे चले पात रंगीन
गुंचा गुंचा महक चला,
भ्रमर करत गूंजार आली

पिय आवन  की आस
हृदय  लिये बैठी  विरहन
पनघट पे सज श्रृंगार
आई भोली गुजरिया आली

फाग  खेलन पीव आयेंगे
मन  लिये चाव  घनेरो
जल्दी मे पायल अटरिया पे
छोड धाई आई आली।
                 कुसुम कोठारी।

4 comments:

  1. वाह!!! बहुत खूब.... लाजवाब
    बहुत सुंदर रचना ।

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  2. बेहद लाज़वाब रचना दी...फाग का रंग मानो प्रकृति के कण-कण को सुवासित कर रहा हो।
    बहुत बहुत सुंदर लिखा आपने...वाह्ह्ह👌👌👌

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