1)श्याम वर्ण वो मन को भाये
चले फिरे वो मुझे लुभाये
शोभा उसकी मोहे तन-मन
हे सखि साजन? ना सखि वो घन।।
2)कद का छोटा वेश छबीला
बातों में भी है रंगीला
दुनिया से वो बिल्कुल न्यारा
क्या सखि साजन? ना इकतारा।।
3)बल खाता लहराता ऐंठा
चलते-चलते बनता ठेंठा।
कई बार बिगड़ा वो आड़ू
क्या सखि साजन? ना सखि झाड़ू।।
4)डूबकी लेकर बाहर आता
आँगन में फिर लोट लगाता
डोले पहने वो अंगौछा
क्या सखि साजन? ना सखि पौंछा।।
5))हाथ पकड़ कर खूब नचाऊँ
उसके बिना न रोटी खाऊँ
बार-बार उससे हो कट्टी
क्या सखि साजन? ना सखि घट्टी।।
6)रूप सजीला है मन भावन
कभी नहीं करता है अनबन
गले लिपट वो लगता लोना
हे सखि साजन? ना सखि सोना।।
7)गोल मोल पर लगता प्यारा
रंग रूप में सबसे न्यारा
नेह सूत में उसे पिरोती
क्या सखि साजन?ना सखि मोती।।
8)काला है पर मुझको भाए
साथ सदा खुशहाली लाए
देह लचीली भागे फर-फर
हे सखि साजन? ना सखि जलधर।।
9)प्रेम लुटाए भरा-भरा तन
मोद मुकुल हो जाता मन
देखूँ उसको मैं खड़ी-खड़ी
हे सखि साजन? ना मेघ झड़ी।।
10)गुस्सा ज्यादा चाल है तेज
श्वेत वसन श्यामल है सेज
बदले झट वो जैसे त्रिया
हे सखि साजन? न घनप्रिया।।
घनप्रिया=बिजली
11)आँख निकाले मुझे सताए
रोद्र रूप कर मुझे डराए
भर दे वो काया में कँपा
हे सखि साजन? ना सखि शँपा।।
शँपा =दामिनी, बिजली।
12)कभी-कभी वो रोष करे जब
घुडकी ऐसी हृदय डरे तब
छुपकर उससे बैठूँ अंदर
क्या सखि साजन? ना सखि बंदर।।
13)हरदम ही वो दबकर रहता
मनमानी जो कभी न करता
वो सबके पाँवों को छूता
क्या सखि साजन? ना सखि जूता।।
14)जीने का आश्रय है मेरा
जो जीवन में भरे उजेरा
वो तो है श्वांसों का संबल
हे सखि साजन? ना ना सखि जल।।
15)नहीं पास तो जी घबराए
चाहत उसकी मन भरमाए
वो आधार वही है आयु
क्या सखि साजन? ना सखि वायु।।
16)अंदर बाहर उसकी पारी
दौड़ भाग लगती है भारी
कोमल वो वन में ज्यों काँस
हे सखि साजन? ना सखि साँस।।
17)बालों में सोना सा चमके
दान्त पाँत मोती सी दमके
वो करता है हक्का-बक्का
हे सखि साजन? ना सखि मक्का।।
18)खिला-खिला सा वो मुस्काए
मेरे उर को सदा लुभाए।
उसको देखूँ खिलता है मन
हे सखि साजन ? ना सखि उपवन।।
19)बाँह लचीली सुंदर काठी
कभी हाथ की बनता लाठी
हाथों में रखता वो झंडा
हे सखि साजन? ना सखि डंडा ।।
20)बातें उसकी है मन भाती
दूर देश से लिखता पाती
आया वो गोदी में लेटा
हे सखि साजन ? ना सखि बेटा।।
21)सुंदर रूप सुकोमल काया
मन मेरा उसमें भरमाया
देखूँ उसे न चलता जोर
हे सखि साजन? ना सखि मोर।।
22)कैसी किस्मत लेकर आया
कहते हैं सब शीश चढ़ाया।
उसके बिन जीवन है फीका
हे सखि साजन ? ना सखि टीका।।
23)चढ़ता नाक वार त्योहारी
छेड़-छाड़ करता हर नारी
कैसे कह दूँ उसकी करनी
हे सखि साजन ? ना सखि नथनी।।
24)मन मोहक सुंदर है काया
देखा उसको मन हर्षाया
साथ सदा वो जाता मेला
हे सखि साजन? ना सखि झेला।।
25)दिखता है जो उत्तम न्यारा
सखियों को भी लगता प्यारा।
मूल्यवान वो घर का है धन
हे सखि साजन? ना सखि कंगन।।
26)आगे पीछे डोले झूमें
मुख मोड़ू तो वो भी घूमें
साथ लगाता है वो ठुमका
क्या सखि साजन? ना सखि झुमका।।
27)मिश्री जैसे बोल सुहाने
कभी नहीं वो मारे ताने
बिगड़े वो चीखे ज्यों कुरली
क्या सखि साजन? ना सखि मुरली।।
कुरली=बाज
28)थपकी दे कर जिसे जगाती
शोर करें तो दूर भगाती
हाथ साथ ही उस का मोल
क्या सखि साजन? ना सखि ढोल।।
29)दूर भेज कर अंतस रोया
कई बार धीरज भी खोया
कभी उसे मैं भूल न पाई
हे सखि साजन ? ना सखि जाई।।
30)कभी न करता आनाकानी
मेरी बात सदा ही मानी
कान मरोड़े देता वो फल
क्या सखी साजन? ना सखी नल।।
31) शीश चढ़ा कर उसको रखती
बड़े प्यार से उस सँग रहती
खरा कभी लगता है खोटा
क्या सखि साजन? ना सखि गोटा।।
32)रंग सुनहरा खूब लुभाता।
वो तो सबके ही मन भाता।
उससे खुश हैं छोरी-छोरा।
ऐ सखि साजन? ना सखि धोरा।।
33)श्याम वर्ण पर कितना न्यारा।
रूप अनोखा है अति प्यारा।
उसको छूती खनके चूड़ा।
ऐ सखि साजन? ना सखि जूड़ा।।
34)तेज अनुपम रूप न्यारा
उसके बिन सूना जग सारा
कितनी आलोकित उसकी छवि
हे सखि साजन ? ना ना सखि रवि।।
35)गोरा तन पानी नहलाती
सोता है हरियाली पाती
निखरे वो होकर के जूना
क्या सखि साजन? ना सखि चूना।।
36)करती हूँ मन से मैं पूजा
उसके जैसा मिले न दूजा
वो ही है जीवन का आगर
हे सखि साजन? ना सखि नागर।
37)सिर पर उसको धारण करती
साथ लिए मंदिर पग धरती
शुभता की वो है रंगोली
हे सखि साजन? ना सखि रोली।।
38)हाथ पकड़ उसका मैं रखती,
उसके बिना कभी ना रहती।
नहीं लगाती उस को पौली,
हे सखि साजन? ना सखि मौली ।।
पौली =पगथली, पाँव का नीचे का हिस्सा
39)पेट दिखाता इतना मोटा
पर समझो मत मन का खोटा
नहीं कभी वो करता सौदा
क्या सखि साजन? ना सखि हौदा।।
40)दोनों बीच सदा ही पटपट
सभी बात पर होती खटपट
इसी बात से होता घाटा
सखि साजन? ना बेलन पाटा।।
41)ग्रास तोड़ कर मुझे खिलाता
पानी शरबत दूध पिलाता
करता काम सभी वो सर-सर
क्या सखी साजन? ना सखी कर।।
42)हाथ पाँव फैला कर सोता
चूक गया तो बाजी खोता
जीत सदा उसकी वो नौसर
क्या सखि साजन? ना सखि चौसर।।
नौसर =चतुर या चतुराई
43)रंग मनोरम आँखों भाता
जीवन भर उससे है नाता
बड़े काम आता वो दानी
ऐ सखि साजन?ना सखि धानी।।
44)ठुमक ठुमक कर मुझे सताता
पर फिर भी वह मन को भाता
साथ रहे जब गाऊं झाँझण
हे सखि साजन ना सखि झाँझर।।
झाँझण=मारवाड़ में खुशी में गाया जाने वाला गीत।
45)घेरे में रखता है जकड़े
बाँहे मेरी निश दिन पकड़े
कभी-कभी लगता है फंद
हे सखि साजन ? सखि भुजबंद।।
46)मेरे मन की बात वो जाने
अनुनय से सब कुछ वो माने
छुपे न कुछ भी है भावज्ञ
हे सखि साजन? ना सर्वज्ञ।।
47)पल भर भी वो नहीं ठहरता
धुन में अपनी चलता रहता
देता दौलत वो तो भर-भर
हे सखि साजन ना सखी दिनकर।।
48)देखूँ उसको मन ललचाता
अतिथियों में धाक जमाता
प्यारा वो तो सच्चा हीरा
क्या सखि साजन? ना सखि सीरा।।
49)सब के मन को खुश कर जाता
रूप देख निज का इतराता
अभिमानी वो बनता जेठा
क्या सखि साजन ? ना सखि पेठा।।
50)हठी बड़ा कब माने कहना
चाहे जो हो सब कुछ सहना
मान्य उसे पड़ जाए मरना
हे सखि साजन ? ना सखि धरना।।
51)चोर सरीखा वो तो आता
खाना पीना चट कर जाता
चढ़ जा बैठे वो तो पूषक
क्या सखि कौवा ? ना सखि मूषक।।
पूषक=शहतूत का पेड़
52)चाँद रात में बिखर रही है
धरा गिरी सब निखर रही है
उससे आलोकित है विषमा
ऐ सखि किरणें ? ना सखि सुषमा।।
विषमा =झरबेरी
सुषमा=सौंदर्य
53)मैंने खाई उसने खाई
और न जाने किसने खाई
बन बैठी वो सबकी माई
सखी सौगंध? नहीं दवाई।।
54)पशु पाखी आनंद मनाते
रस उद्यान भोज का पाते
दूर-दूर तक फैला विरण्य
ऐ सखि सिंधु तट? न सखि अरण्य।।
विरण्य=विस्तार
55)एक रूप लेकर घर आये
लगता जैसे हो माँ जाये
इक बिना दूजा है निष्प्राण
ऐ सखि जुड़वाँ ? ना पदत्राण।।
पदत्राण=खड़ाऊ
56)मृदुल नरम है उसका छूना
शीत बढ़ाता है वो दूना
रूप बदलता है वो हर क्षण
ऐ सखि झोंका? ना सखि हिमकण।।
57)तेज चाल से घात करे वो
फिर बैरी को मात करे वो
उछले वो जैसे हो शावक
ऐ सखि गोली? ना सखि नावक।।
58)कभी रक्षक कभी वो लाठी
लम्बी पतली है कद काठी
वो तो चाल चले ज्यों करछा
ऐ सखि चाकू? ना सखि बरछा।।
59)खुशियाँ लेकर ही घर आती
बच्चें बड़े सभी को भाती
वो तो है बस मीठी गोली
सखि मीठाई ? न सखि ठिठौली।।
60)आँखें लाल जटा है सिर पर
सौ जाता वो भू पर गिर कर
रात जगे पर करें न चोरी
ऐ सखि अक्खड़ ? न सखि अघोरी।।
61)दोनों ही मिल-जुलकर रहते
इक दूजे को मन की कहते
माने इक दूजे की सम्मति
ऐ सखि साथी ? ना सखि दम्पति।।
62)रहूँ अकेली मुझे डराता
राम नाम का जाप कराता
उसका करती हूँ अपवर्जन
ऐ सखि पनघट? ना सखि निर्जन।।
अपवर्जन=त्याग
63)लगे बहुत वो प्यारा-प्यारा
कोमल सुंदर न्यारा-न्यारा
उसको देखूँ खुश होते दृग
ऐ सखि बेटा? ना सखि वो मृग।।
64)तेज गति से दौड़ा जाता
जाकर फिर जल्दी घर आता
उसने सिर पर बाँधी खोही
हे सखि लुब्धक ? ना आरोही।।
65)सभी भोज में उसे सजाते
दीन धनी सब प्यार जताते
सब जन पूछे उसकी बात
क्या सखि मीठा? ना सखि भात।।
66)उसकी तो है बात निराली
सौरभ उसकी है मतवाली
रंग रुचिर वो सबमें दे भर
क्या सखि फुलवा ? ना सखि केसर।।
67)बाँहो में उसको जब भरती
मीठी-मीठी बातें करती
उमड़े उस पर नेह अपार
हे सखि बेटी? न सखि सितार।।
68)राग छेड़कर मोहित करती
कानों में ज्यों मिश्री भरती
राग सदा ही उसका भीणा
ऐ सखि कोयल?ना सखि वीणा।।
69)बातें करता गोल मोल सी
कभी सुरीली कभी पोल सी
हठी बड़ा वह मन का सच्चा
क्या सखि बाजा? ना सखि बच्चा।।
70)शीत वात में सेवा करता
नव जीवन की आशा भरता
उसको देखे भागे जाड़ा
क्या सखि कंबल? ना सखि काढ़ा।।
71)सदा शाम खिड़की पर आता
रूप बदल कर मुझे डराता
कभी-कभी दिखता है वो यम
क्या सखि उल्लू? ना सखि वो तम।।
72)चमक दिखाता कुछ ना देता
बातों की बस नावें खेता
उसका तो देखा बस टोटा
क्या सखि नेता? ना सखि कोटा।।
73)उसका जाल कठिन है भारी
खींच करें मारन की त्यारी
दुष्ट बड़ी है उसकी हलचल
क्या सखी डाकु? न सखी दलदल।।
74)सुंदर निखरा कण-कण न्यारा
रूप सँवारा कितना प्यारा
करता वो शोभित है खंड
क्या सखी फूल? न सखी मंड ।।
मंड=सजावट, आभूषण।
75)वो मतवाला चोरी करता
जीभ चटोरी रस से भरता
डोले घूमें वो भू श्रृंग
क्या सखी ठग? ना सखी भृंग।।
76)दुनिया में उसकी ही पूजा
सखा नहीं सम उसके दूजा
उसका मान करें है ध्यानी
क्या सखी देव ?न सखी ज्ञानी।।
77)शीश चढ़ा है खूब नचाया
जाने क्या-क्या उसने खाया
घातक वो जैसे परमाणु
क्या सखि गंधक? न सखि विषाणु।।
78)तन का मोटा कोमल है मन
उसको आदर देता जन-जन
शोभा पाते उससे द्रुम दल
क्या सखि केला? ना सखि श्री फल।।
79)सारी रतिया पीता पानी
चमक दमक देता है दानी
तन पर फैली घोर कारिखी
क्या सखी चंदा? न सखी शिखी।
शिखी=दीपक
80)ये तो तन को खूब सजाते
नये नये रंगों में आते
ठंड ताप बदले ये अस्त्र
क्या सखि चादर? ना सखि वस्त्र।।
81)छोटे बड़े सभी को भाता
तन पर सजता मान दिलाता
कभी-कभी हरता वो धीर
क्या सखि गहना ? ना सखि चीर।।
82)भरी नदी पानी से खाली
हरी मगर सूखी है डाली
वो यात्रा में बनता मित्र
हे सखि पोथी? न मानचित्र।।
83)पूंछ उठाके मारा धक्का
बुक्का फाड़े रोया कक्का
मुख से भरता वो तो छागल
हे सखी बैल ? ना चापाकल ।।
84)शीश चढ़े मन में इतराता
हवा लगे हिल हिल वो जाता
जल बरसा उसको दूँ खप्पर
क्या सखि पादप? ना सखि छप्पर।।
85)छोटा दिखता है सुखकारी
घर में उसकी महिमा न्यारी
उसे लगा लो काटो खीरा
क्या सखी नमक? न सखी जीरा।।
86)गुड़-गुड़ गुड-गुड़ दौड़ लगाता
हवा लगे तो हाथ न आता
उपवासी को लगे सुहाना
हे सखि कोदो ? न साबुदाना।।
87)सुंदर सा वो ढेर लगाता
घर से सारा मैल भगाता
चमका लाता दे दूँ जोभी
क्या सखि चाकर? ना सखि धोबी।।
88)जबसे वो है मुझ से रूठी
उसकी तो किस्मत ही फूटी
कहाँ कहाँ से काटी फाड़ी
क्या सखि दैनिकी? न सखि साड़ी।।
89)शीश चढ़े इतरा वो बैठी
चमक दिखा झिलमिल सी ऐंठी
कभी सजाती भरभर अँगुली
क्या सखि लाली ? ना सखि टिकुली।।
90)सुंदर शोभित हो डोल रही
मन के तारों को खोल रही
उसको हवा दिलाती है भय
क्या सखी लौ? ना सखी किसलय।।
91) ढलते सूरज नभ पर छाती
नहीं मगर वो मन को भाती
डस लेती है सदा लालिमा
ऐ सखि संध्या?न सखि कालिमा।।
92)मन पर उतरी कितनी गहरी
सुबह शाम रहती बन लहरी
गूँजे अंतस बन के नाद
ऐ सखि छाया? ना सखि याद।।
93)बहुत जरूरी है ये भाई
लेकर के सौगातें आई
इसके बिन तो मांगों भिक्षा
ऐ सखि दौलत?ना सखि शिक्षा।।
94)चार खूंट में कसकर बाँधा
कई बार चढ़ता है काँधा
भार उठा कर उसको तोला
ऐ सखि खटिया ? ना सखि डोला ।।
95)मधुर भरा रस मीठी लगती
डाल-डाल मोती सी सजती
भर-कर लाई एक झपोली
ऐ सखि बेरी? न सखि निबोली।।
96)अरब करोड़ों की हैं बातें
कितनी ही होती है घातें
इसको ना करना अनदेखा
ऐ सखी धन? ना सखी लेखा।।
97)गोल-मोल माटी पर लोटा
कद उसका तो होता मोटा
ठंडा जैसे गोंद कतीरा
ऐ सखि कद्दू ? नहीं मतीरा।।
98)जब आता हड़कंप मचाता
जाने क्या-क्या वो खा जाता
भागे सब करते हैं तोलन
क्या सखि चूहा ? सखि भूडोलन।।
99)शीश ऊपर पाँव है तीजा
और कलेजा मेरा सीजा
बड़े प्यार से मुझे परोसा
क्या सखि खाजा? नहीं समोसा।।
100)मन को बस में करने वाली
लाल नहीं है ना वो काली
लेकर आती काले धुरवा
ऐ सखि बरखा ? ना सखि पुरवा।।
धुरवा= बादल
101)वो तो जग में सबसे प्यारी
महक रही ज्यों केसर क्यारी
मोह बाँधती कैसी ठगिनी
ऐ सखि बेटी ? ना सखि भगिनी।।
102)चिमनी चढ़ के बैठी भोली
मुँह चिढ़ाये कुछ नहीं बोली
देखे उसको गर्वित उजली
हे सखि धुँधला, ना सखि कजली।।
103)भान नहीं है निज का थोड़ा
जाने कैसा नाता जोड़ा
मझधार पड़ी है अब बोहित
ऐ सखि पगला? ना सखि मोहित।।
बोहित=नाव
104)इधर उधर में उसको बाँटा
तेरा मेरा टक्कर काँटा
बार-बार देता है झाला
ऐ सखि चौसर ? न सखि पाला।।
पाला=खेल में दो पक्षों का निर्धारित क्षेत्र।
105)बहुत जरूरी इसको जाने
इस को ही बस जीवन माने
चाह रहे उसकी तो अतिशय
ऐ सखि विद्या? ना सखि संचय।।
106)साथी सँग मिल खूब टहलता
खाता पिता और बहलता
सिर से चलता है वो मोटा
ऐ सखि झाड़ू ? ना सखि घोटा।।
107)चमके चमचम सुंदर काया
इतना पावन रूप बनाया
शांत धीर है अविचल जीवट
क्या सखि साजन ? ना सखि दीवट।।
दीवट= दीपक रखने का स्तंभ
108)जब-जब बहता पीर दिखाता
कभी नहीं पर मन को भाता
उसको देख मचे है खलबल
क्या सखि नाला? ना सखि दृग जल।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
शतकवीर की हार्दिक बधाई सखी। बेहतरीन कहमुकरियां।
ReplyDeleteआत्मीय आभार सखी।
Deleteसस्नेह।
शतकवीर की हार्दिक बधाई सखि
ReplyDeleteआत्मीय आभार सखी।
Deleteसस्नेह।
हार्दिक बधाई और नमन ।
ReplyDeleteवाह वाह !! शानदार सृजन ।।
आकर्षक, सटीक और आनंद भरी ।
लाजवाब है हर एक कहमुकरी ।।
आत्मीय आभार जिज्ञासा जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन को उर्जा मिली।
Deleteसस्नेह।
वाह वाह वाह दी बहुत सुन्दर बहुत बधाई 👌👌👌👌👌👌👌❤️
ReplyDeleteआत्मीय आभार बहना।
Deleteसस्नेह।
अद्भुत सृजन इस विधा पर निखरें हुए दृश्य बिम्ब मन मोहक छटा बिखेरती हल्की सी शरारत, हल्की सी मुस्कुराहट अधरों पर छोड़ती सुंदर और आकर्षक कह मुकरियाँ एक साथ संख्या में भी 100 से अधिक इस विधा के शतक सृजन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 💐💐💐
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय ये सब आपके दिशानिर्देश बिना असंभव था। आपने अपने व्यस्ततम समय में से समय निकाल कर ब्लाग पर आकर के सराहना के अनमोल शब्द लिखे , लेखन सार्थक हुआ।
Deleteइस सृजन में साहित्यिक और भाव दृष्टि से कुछ भी कमजोर पक्ष रहा है तो आगे लेखन में और भी सटीकता और निखार लाने का दृढ़ संकल्प रहेगा।
पुनः हृदय से आभार आपका।
सादर।
अनंत बधाइयां आदरणीया 🙏💐
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका,आप गुणी जनों की सराहना से लेखन सार्थक हुआ।
Deleteसादर।
वाह बेहतरीन कह मुकरी सखी , हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से नव उर्जा का संचार हुआ।
Deleteसस्नेह।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।
सभी कह मुकरी एक से बढ़कर एक।👌👌👌👌👌बहुत ही सुंदर बिंब और शानदार कथन से सुसज्जित कह मुकरियाँ।
ReplyDeleteसखी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मन आह्लादित हुआ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
शतक 'कह मुकरी' सृजन की बधाई ।
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका।
Deleteब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
सादर।
आपके काव्य-कौशल के आगे नतमस्तक हूँ । उत्कृष्टता से परिपूर्ण कहमुकरी शतक । अनुकरणीय साधना ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीना जी,आपका स्नेह है जो इतनी प्यारी टिप्पणी मिली, मन प्रसन्न हैं।
Deleteअतिशयोक्ति होते हुए भी😂
सस्नेह।
अद्भुत अप्रतिम आपका सतत प्रयास और उत्कृष्ट सृजन हम सबका मार्गदर्शक है,अनुपम कह मुकरियाँ शतक की हार्दिक बधाई दीदी आपकी लेखनी निरन्तर यूँही चलती रहे ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका बहना,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से सृजन को नया प्रवाह मिला।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24 -10-21) को "मंगल बेला"(चर्चा अंक4227) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी मेरे प्रयास को चर्चा मंच पर ले जाने के लिए, वैसे भी चर्चा मंच पर रचना के साथ उपस्थित रहना गर्व का विषय है।
Deleteसादर आभार आपका मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी अवश्य।
सादर।
लाजवाब
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर।
बहुत बहुत बधाई हो दीदी, एक और शतक का सम्मान प्राप्त हुआ आपको। सुंदर मनभावन सृजन.
ReplyDelete- गीतांजलि 💐💐
आत्मीय आभार बहना।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।।, ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।
गजब संकलन संदेश देती हुई रचना आदरणीय बधाई ।
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteआप हमेशा से शतकवीर हैं कुसुम जी!
101 कहमुकरियाँ !!!!
सब एक से बढ़कर एक...
कमाल कर दिया आपने।
बहुत ही लाजवाब🙏🙏🙏🙏
सुधा जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा मुझे नवीन उर्जा देती है।
Deleteआपकी सुंदर मोहक प्रतिक्रिया से लेगन मुखरित हुआ।
सस्नेह आभार आपका।
adbhud aur apratim ,sundar srijan
ReplyDeleteabhar
जी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर।
ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
दुनिया में उसकी ही पूजा
ReplyDeleteसखा नहीं सम उसके दूजा
उसका मान करें है ध्यानी
क्या सखी देव ?न सखी ज्ञानी।।
आपकी इस प्रस्तुति के लिए जितनी तारीफ की जाए कम है, बहुत-बहुत बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार आपका मनीषा जी आपको पसंद आया लेखन, लिखना सार्थक हुआ ।
Deleteसस्नेह।
एक सुखद पल शेयर कर रही हूँ।
ReplyDeleteपिछले पाँच महीने से followers मित्रों की संख्या निन्यानबे के फेर में पड़ी थी ,आज सुखद पल दिखा की followers की संख्या 100 को छू गई , सुखद अनुभव आप सभी मित्रों को आत्मीय आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत खूब.अमीर खुसरो की परम्परा फिर से लोकप्रिय हो रही है.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका गिरिजा जी, ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति से मन प्रसन्न हुआ,सदा स्नेह बनाए रखें।
Deleteसादर सस्नेह।
लाज़बाब कहमुकरियां वाह.... कुसुम ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दी, आपका आशीर्वाद मिला मन प्रसन्न हुआ।
Deleteसादर सस्नेह।
जबरदस्त...जबरदस्त... जबरदस्त... कुसुम जी, अमीर खुसरो की उलटबासियाँ, बूझ-अबूझ पहेलियां पढ़ी थीं अबतक, आज आपने हमें मुकरियां भी पढ़वाईं, जितना धन्यवाद कहूं उतना कम है।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अलकनंदा जी।
Deleteआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
सादर सस्नेह।
लाजवाब सृजन , बधाइयां 🌹👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसादर।
वाह!वाह!सराहना से परे आदरणीय कुसुम दी जी।
ReplyDeleteसराहनीय है आपका काव्य-कौशल।
दिल से ढरों बधाई एवं अनेकानेक शुभकामनाएँ।
सादर प्रणाम
बहुत बहुत आभार आपका अनिता आपकी मनमोहक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया
Deleteनव उर्जा का संचार करती।
सस्नेह।
हार्दिक शुभकामनाएं शानदार शतक की 💐💐💐💐
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका नीतू जी।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुंदर कहमुकरियाँ दीदी 👌
ReplyDeleteसरोज दुबे 'विधा'
शतकवीर की हार्दिक बधाई
बहुत बहुत सा स्नेह आभार सरोज जी आपकी प्रतिक्रिया से लेखन मुखरित हुआ।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर थी आपकी लेखनी को सहृदय नमन करती हूं 🙏🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर,आपकी लेखनी अद्भुत है । आपकी लेखनी को नमन 🙏💐
ReplyDeleteआपकी लेखन प्रतिभा, आपका असीम शब्दकोष, आपकी उन्मुक्त कल्पना, सब एक साथ प्रतिबिम्बित हैं कहमुकरी के इस संग्रह में, दीदी 🙏🏼🙏🏼
ReplyDelete- गीतांजलि
अद्भुत लेखन अद्भुत भाव और शब्दों का तो क्या कहना...अप्रतिम सृजन प्रिय बहन।
ReplyDeleteJijji kya bolun ek se badhkar ek keh mukriyaan ..bohut din baad padhi..mann khush ho gayaa ..apratim likhti hain aap 👌👌👌👌👌😍😍
ReplyDeleteबहुत सुंदर, हार्दिक बधाई सखी
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