तुम मुझे भूल जाओ शायद
तुम मूझे भूल जाओ शायद पर साथ
गुजारे वो लम्हे क्या भूल पाओगी
वो नीरव तट पर साथ मेरा और मचलती
लहरों का कल-छल क्या भूल पाओगी।
वो हवाओं का तेरे आंचल को छेड़ना
और मेरा अंगुलियों पर आंचल रोकना
वो नटखट घटाओं का तेरे चंद्र मुख पर
छा जाना और मेरा फिर उन्हें मोड़ देना
क्या भूल पाओगी....
मेरी कागज पर लिखी निर्जीव गजल
गुनगुना के सजीव करना जब अपना
नाम आता तो दांतों में अंगुली दबाना
उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
क्या भुला पाओगी.....
वो शर्म की लाली जो अपना ही रूप देख
साथ मेरे आईने में आती मुख पर तुम्हारे,
वो गिरते आंसुओं को रोकना हथेली पर मेरी
और तुम्हारा उन्ही हथेलियों में मुख छुपाना
क्या भूल पाओगी..
कुसुम कोठारी ।
तुम मूझे भूल जाओ शायद पर साथ
गुजारे वो लम्हे क्या भूल पाओगी
वो नीरव तट पर साथ मेरा और मचलती
लहरों का कल-छल क्या भूल पाओगी।
वो हवाओं का तेरे आंचल को छेड़ना
और मेरा अंगुलियों पर आंचल रोकना
वो नटखट घटाओं का तेरे चंद्र मुख पर
छा जाना और मेरा फिर उन्हें मोड़ देना
क्या भूल पाओगी....
मेरी कागज पर लिखी निर्जीव गजल
गुनगुना के सजीव करना जब अपना
नाम आता तो दांतों में अंगुली दबाना
उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
क्या भुला पाओगी.....
वो शर्म की लाली जो अपना ही रूप देख
साथ मेरे आईने में आती मुख पर तुम्हारे,
वो गिरते आंसुओं को रोकना हथेली पर मेरी
और तुम्हारा उन्ही हथेलियों में मुख छुपाना
क्या भूल पाओगी..
कुसुम कोठारी ।
कुसुम दी, सच में प्यार को भूला पाना कठिन हैं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसस्नेह आभार प्रिय ज्योति बहन ।
Deleteवाह!! सखी ,बहुत खूबसूरत रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी स्नेह बनाये रखें।
Deleteसस्नेह।
बहुत से नाज़ुक क्षण और भावपूर्ण लम्हे जिनमें जीवन के हसीं पल होते हैं उन्हें भुलाना आसान कहाँ होता है ...
ReplyDeleteएअसे ही कुछ लम्हों को लेकर बुनी दिलकश रचना है ...
बहुत सुंदर प्रतिक्रिया आपकी सदा विस्तृत और सटीक।
Deleteसादर आभार बहुत सा।
मेरी कागज पर लिखी निर्जीव गजल
ReplyDeleteगुनगुना के सजीव करना जब अपना
नाम आता तो दांतों में अंगुली दबाना
उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
क्या भुला पाओगी.....
बहुत ही खूबसूरत भावपूर्ण रचना...
वाह!!!
बहुत सा स्नेह सखी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteसस्नेह आभार ।
वो गिरते आंसुओं को रोकना हथेली पर मेरी
ReplyDeleteऔर तुम्हारा उन्ही हथेलियों में मुख छुपाना
क्या भूल पाओगी..बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌
आप लोगों को पसंद आई बहुत संतोष हुआ सखी।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
वाह बहुत खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteसस्नेह सादर आभार दी आपका आशीर्वाद मिला।
Deleteउई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
ReplyDeleteक्या भुला पाओगी.....
बहुत ही खूबसूरत
ढेर सा आभार संजय जी रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteबहुत ही सुंदर ,भावपूर्ण ,और आप की लेखनी का एक अलग अंदाज़ जो इसे और खास बना रहा हैं ,बहुत ही प्यारी रचना ,सादर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार कामिनी जी।
ReplyDeleteआप ने सही कहा मेरे मिजाज से हटकर है ये सृजन बसकभी-कभी एक रस्ता तोड़ ने का प्रयास भर आप सब को अच्छी लगी तो सार्थक हुई रचना।
पुनः आभार सस्नेह ।
एक रसता पढ़ें कृपया
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
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