कारगिल दिवस पर सैनिकों को समर्पित
वीर ! देश के गौरव हो तुम
माटी की शान तुम ,
भूमि का अभिमान तुम
देश की आन तुम,
राह के वितान तुम।
हो शान देश की
धीर तुम गम्भीर तुम।
राहें विकट,हौसले बुलंद थे,
चीरते सागर का सीना
पांव पर्वतों पर थे,
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।
हो शान देश की
मशाल तुम ,मिशाल तुम।
भाल को उन्नत रखा
हाथ में बारूद था,
बन के आत्माभिमानी
शीश दुश्मनों का काटा,
विजय पर लक्ष्य था ।
हो शान देश की
मान तुम गुमान तुम ।
मास दो लड़ते रहे
सीमा की ढाल तुम,
जान हाथों में रख
बने महान कर्मकर,
अर्जुन तुम कृष्ण तुम ।
हो शान देश की
विशाल तुम उन्नत भाल तुम ।
कुसुम कोठारी ।
वीर ! देश के गौरव हो तुम
माटी की शान तुम ,
भूमि का अभिमान तुम
देश की आन तुम,
राह के वितान तुम।
हो शान देश की
धीर तुम गम्भीर तुम।
राहें विकट,हौसले बुलंद थे,
चीरते सागर का सीना
पांव पर्वतों पर थे,
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।
हो शान देश की
मशाल तुम ,मिशाल तुम।
भाल को उन्नत रखा
हाथ में बारूद था,
बन के आत्माभिमानी
शीश दुश्मनों का काटा,
विजय पर लक्ष्य था ।
हो शान देश की
मान तुम गुमान तुम ।
मास दो लड़ते रहे
सीमा की ढाल तुम,
जान हाथों में रख
बने महान कर्मकर,
अर्जुन तुम कृष्ण तुम ।
हो शान देश की
विशाल तुम उन्नत भाल तुम ।
कुसुम कोठारी ।
बेहतरीन सृजन दी जी
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत सरनेम बहना ।
Deleteवाह बेहतरीन प्रस्तुति सखी 🌹
ReplyDeleteढेर सा आभार सखी ।
Deleteदेशप्रेम से ओतप्रोत सैनिकों का मान बढ़ाती बहुत ही सुंदर सृजन कुसुम दी।
ReplyDeleteस्नेह आपका ज्योति बहन आपकी प्रतिक्रिया से रचना गतिमान हुई ।
Deleteसस्नेह।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-07-2019) को "करगिल विजय दिवस" (चर्चा अंक- 3408) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार मेरे प्रयास को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए।
Deleteसादर सस्नेह।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
Deleteदेशप्रेम की भावना से ओतप्रोत...,रणबांकुरों की शौर्य गाथा का बखान करती अनुपम रचना ःः
ReplyDeleteमीना जी आपकी प्रतिक्रिया से सदा आत्मबल बढ़ता है ।
Deleteसस्नेह आभार।
जय हिन्द जय जवान।
वाह! देश की आन, बान और शान की ध्वजा के वाहक वीर सैनिक सपूतों को समर्पित सुंदर यश-गान।
ReplyDeleteसादर आभार आपका, रचना पर सराहनीय टिप्पणी से रचना प्रवाह मान हुई।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर सृजन दी..देश के मान सम्मान के लिए प्रणों की भेंट अर्पित करने वाले वीरों को सादर शब्दांजलि..🙏🙏
ReplyDeleteजय हिंद जय जवान।
Deleteसस्नेह आभार प्रिय श्वेता।
मास दो लड़ते रहे
ReplyDeleteसीमा की ढाल तुम,
जान हाथों में रख
बने महान कर्मकर,
अर्जुन तुम कृष्ण तुम ।
बहुत ही कृतज्ञ भावों से समर्पित सुंदर सृजन देश के वीर जवानों के नाम प्रिय कुसुम बहन | ये यशोगान उनके बलिदान की कहानी कहता है जो बीस साल पहले कारगिल में माँ भारती के सम्मान हेतु दिया गया था | वरों को कोटि नमन | मातृभूमि उनके बलिदान की ऋणी रहेगी | सस्नेह
सस्नेह आभार रेणु बहन, आपकी सुदृढ़ प्रतिक्रिया रचना को स्वतः गति प्रदान करती है ,रचना के भाव मुखरित करती है
Deleteआपकी की टिप्पणी का सदा इंतजार रहता है।
सस्नेह।
बहुत ही लाजवाब शौर्य गाथा
ReplyDeleteदेश की आन बान शान के प्रतीक सैनिकों को समर्पित उत्कृष्ट सृजन...।
बहुत सा स्नेह सुधा जी ।।
Deleteजय जवान जय हिंद।
देश की आत्मा को लिखा है ...
ReplyDeleteकारगिल के शहीदों को नमन है ... अमर वीरों को नमन ...