बैठे ठाले
बैठे ठाले स्वेटर बुन लो
फंदे गूंथ सलाई से।
स्वेटर की तो बात दूर हैं
घर के काम लगे भारी
झाड़ू दे तो कमर मचकती
तन पर बोझ लगे सारी
रोटी बननी आज कठिन है
बेलन छोड़ कलाई से।।
पिट्जा बर्गर आर्डर कर दो
कोक पैप्सी मंगवाना
खटनी करते अब हारी मैं
पार्लर सखी संग जाना
आइसक्रीम तैयार मिले
झंझट कौन मलाई से।।
चलभाष का व्यसन अति भारी
उसमें जी उलझा रहता
कुछ देरी में काम सभी हो
बार-बार मन यह कहता
लोभ भुलावे अंतस अटका
भागा समय छलाई से।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपकी लिखी रचना सोमवार 28 नवम्बर 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हृदय से आभार आपका संगीता जी रचना को विशेष प्रस्तुति में चयन करने के लिए।
Deleteमैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
मोबाइल से फुर्सत मिलेगी तब तो स्वेटर की बारी आएगी, पर यहाँ तो आपने किचन से भी भाग जाने की बात कह दी है, तब तो हाथों का काम केवल अपलोड करना ही रह गया है
ReplyDeleteजी बस बैठे डाले कुछ हास्य व्यंग लिख डाला।
Deleteसस्नेह आभार आपका सक्रिय प्रतिक्रिया के लिए।
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ReplyDeleteआदरणीया मैम, वर्तमान परस्थितियों में बहुत ही विचारपूर्ण रचना। हम आज कल मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी पर इतना समय व्यर्थ करते हैं कि अन्य आवश्यक और रचनात्मक कार्य के लिए सनी ही नहीं बचता। वर्चुअल दुनिया को छोड़ कर रियल दुनिया में कुछ करने का समय है। सादर प्रणाम, एक अनुरोध और, मैं ने एक नया ब्लॉग आरम्भ किया है, चल मेरी डायरी। मेरा अनुरोध है उस पर आ कर मेरे लेख पढ़ें और अपना आशीष दें।
ReplyDeleteचलभाष के व्यसन पर अच्छी खासी खिंचाई कर डाली आपने दी।
ReplyDeleteअति सुंदर हास्य-व्यंग्य रचना दी।
सभी साहित्यिक विधाओं में सिद्ध हस्त हो गयी हैं आप सचमुच दी प्रशंसनीय है।
सस्नेह प्रणाम दी
सादर।
हृदय से आभार आपका श्वेता आपकी प्रतिक्रिया सदा मन को सुकून से भर देती है ।
Deleteसस्नेह आभार बहना।
वाह!!!!
ReplyDeleteचलभाष ने निठल्ला बना दिया घर के सभी काम तो भारी लगेंगे ही फिर पिज्जा वर्गर ऑडर हो गया तो कीचन में जाने की जरूरत ही क्या
आज के परिपेक्ष्य को दर्शाता अद्भुत एवं लाजवाब सृजन
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी , बस यूं ही कुछ हास्य व्यंग लिख दिया, बैठे ठाले।
Deleteआपका समर्थन मिला लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
ReplyDelete👌👌👌👌😃😃😃😃
बहुत खूब प्रिय कुसुम बहन।यहाँ भी कलम चला दी है आपने।इस दुष्ट चलभास ने दुनिया से जोड़ा तो गृहस्थी का रंग फीका कर दिया।आज की इस नमकीन सच्चाई को बड़ी सरलता से समझा दिया आपने👌🙏
सस्नेह आभार आपका रेणु बहन सब ओर एक सा हाल हैं हम भी इस से कहां अछूते रह पाए।
Deleteआपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
सस्नेह।
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ReplyDeleteसुप्रभात कुसुम जी ! पिज़्ज़ा , बर्गर और पार्लर की ख़ूब कही .., आज के लाइफ-स्टाइल कोा सहज और सजीव चित्रांकन । अभिनव एवं अभिराम सृजन ।
Deleteहृदय से आभार आपका मीना जी भावों को समर्थन देती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
आज के परिदृश्य पर पैनी नज़र रख बहुत ही रोचक और सामयिक रचना रची है आपने ।बधाई कुसुम जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।