श्वासों का सट्टा
हर दिवस की आस उजड़ी
दर्द बहता फूट थाली
अब बगीचा ठूँठ होगा
रुष्ठ है जब दक्ष माली।
फड़फड़ाता एक पाखी
देह पिंजर बैठ भोला
तोड़कर जूनी अटारी
कब उड़ेगा छोड़ झोला
ठाँव फिर भू गोद में ही
व्यूढ़ का है कौन पाली।।
मौन हाहाकार रोता
खड़खड़ाती जिर्ण द्वारी
सत निचोड़ा गात निर्बल
काल थोड़ा शेष पारी
श्वास सट्टा हार बैठी
खेलती विधना निराली।।
भ्रम का कुहरा जगत ये
ड़ोलता ज्यों सिंधु धारा
बीच का गोता लगाकर
इक लहर ढूढ़े किनारा
बाँध कर मुठ्ठी अवाई
जा रहे सब हाथ खाली।।
बगीचा=यहां काया है
दक्ष माली=स्वास्थ्य या सांसें
जीर्ण द्वारी=वृद्धावस्था
व्यूढ़=निर्जीव
पाली =पालने वाला
अवाई=आगमन
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
ReplyDeleteमौन हाहाकार रोता
खड़खड़ाती जिर्ण द्वारी
सत निचोड़ा गात निर्बल
काल थोड़ा शेष पारी
श्वास सट्टा हार बैठी
खेलती विधना निराली।।.. वाह लाजवाब !
जीवन संदर्भों पर सटीक और गूढ़ रचना ।
बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी विस्तृत उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन को नव प्रवाह मिला।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-11-2022) को "सभ्यता मेरे वतन की, आज चकनाचूर है" (चर्चा अंक-4619) पर भी होगी।--
ReplyDeleteकृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteसादर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 नवंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी पांचलिंकों पर रचना को देखना सदैव सुखद लगता है।
Deleteसादर सस्नेह।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 नवंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजीवन की घोर वास्तविकता का सटीक व सजीव वर्णन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अनिता जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।
Deleteसस्नेह।
जीवन की कटु वास्तविकता का सटीक वर्णन किया है कुसुम दी आपने।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
हृदय से आभार आपका संधु जी आपकी मोहक टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
ReplyDeleteसस्नेह।