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Monday, 8 August 2022

तिरंगा


 तिरंगा


लहरा रहा हमारा अभिमान है तिरंगा।  

घर-घर फहर रहा है जय गान है तिरंगा। 


तन कर खड़ा गगन में यह दृश्य है विलक्षण।

उर भारती सुशोभित परिधान है तिरंगा।।


नगराज शीश शोभित दृग देख कर मुदित है।

शत भाल झुक रहें पथ गतिमान है तिरंगा।


कितनी सदी बिताई हत भाग्य दासता में। 

अब देश का बडप्पन बल आन है तिरंगा।


अब तो अमृत महोत्सव बस धूम से मनाओ।

सबके हृदय समाया इकतान है तिरंगा।।


रखती 'कुसुम' उमंगित पथ में सुमन हजारों।

सिर भारती तिलक सम प्रविधान है तिरंगा।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

26 comments:

  1. Replies
    1. जी बहुत आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  2. देशप्रेम से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. हृदय से आभार आपका ज्योति बहन।
      आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१०-०८ -२०२२ ) को 'हल्की-सी सीलन'( चर्चा अंक-४५१७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हृदय से आभार आपका।
      चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
      सादर सस्नेह।

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  4. वाह! तिरंगे का सुंदर गौरव गान।

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    1. बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हेतु।
      सादर।

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  5. तिरंगे की गौरव गाथा । बहुत सुंदर सृजन ।
    जय हिंद

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय संगीता जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सादर सस्नेह।

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  6. वाह ! तिरंगे की शान में बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। वंदे मातरम्।

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    1. बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
      आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  7. बहुत सुंदर कविता

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  8. बहुत सुंदर सृजन सखी।

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  9. आपकी लिखी रचना सोमवार 15 अगस्त 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. जी सोमवार की विशेष प्रस्तुति में रचना गौरवान्ति हुई ।
      हृदय से आभार आपका।
      सादर।

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  10. उम्दा प्रस्तुति

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    1. जी हृदय से आभार आपका ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

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  11. बेहतरीन सृजन

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    1. बहुत आभार आपका भारती जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  12. है हमारी आन तिरंगा , मान और अभिमान तिरंगा

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीया।
      आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर सस्नेह।

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  13. वतन.के तिरंगे को झुकने न देना
    -------
    सुंदर, भावपूर्ण देशभक्ति से ओतप्रोत झंडा गान ।
    हमेशा की तरह संदेशयुक्त।
    सस्नेह प्रणाम दी
    सादर

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  14. सस्नेह आभार प्रिय श्वेता।
    आपकी उपस्थिति से रचना स्वयं सार्थक हो जाती है।
    सस्नेह।

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