सादर आभार आपका संगीता जी। आपको कु0 पसंद आई लेखन सफल हुआ। मैंने तीन साल पहले से छंदबद्ध लेखन शुरू किया था और पहला छंद कुंडियाँ ही लिखना सीखा था। कितना कामयाब रहा लेखन ये तो आप लोगों जैसे प्रबुद्ध ही बता सकते हैं, पर छंद लेखन के लिए मैं गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी की आजन्म ऋणी रहूंगी उन्हीं के दिशा निर्देश में छंदों और नवगीत का सफर रहा है मेरा,कु0 छंद में 100 कु0 के साथ एकल संग्रह प्रकाशित हुआ है जो मेरा पहला संग्रह था। सदा स्नेह बनाए रखें । सादर सस्नेह।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 24 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच "विज्ञापन में नारी?" (चर्चा अंक 4167) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।-- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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ReplyDeleteवाह , आपको तो कुंडलियां छंद में महारथ हासिल है ।।बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteसादर आभार आपका संगीता जी।
Deleteआपको कु0 पसंद आई लेखन सफल हुआ। मैंने तीन साल पहले से छंदबद्ध लेखन शुरू किया था और पहला छंद कुंडियाँ ही लिखना सीखा था। कितना कामयाब रहा लेखन ये तो आप लोगों जैसे प्रबुद्ध ही बता सकते हैं, पर छंद लेखन के लिए मैं गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी की आजन्म ऋणी रहूंगी उन्हीं के दिशा निर्देश में छंदों और नवगीत का सफर रहा है मेरा,कु0 छंद में 100 कु0 के साथ एकल संग्रह प्रकाशित हुआ है जो मेरा पहला संग्रह था।
सदा स्नेह बनाए रखें ।
सादर सस्नेह।
वाह!बहुत खूब! छन्दबद्ध विधा में आप लाजवाब हैं। बहुत खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी लेखन के सफर में आप सब का अतुल्य स्नेह ही मेरा संबल है।
Deleteआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 24 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आपका।
Deleteमुखरित मौन पर रचना को देखना सुखद एहसास है।
मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
वाह ... कितने सुन्दर भाव से पिरोया है चंदा को ...
ReplyDeleteसुन्दर सृजन ...
जी बहुत बहुत आभार आपका,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसादर।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच "विज्ञापन में नारी?" (चर्चा अंक 4167) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आपका आदरणीय, चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए ये सदा सुखद एहसास होता है
Deleteमैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
उत्कृष्ट सृजन 👌👌
ReplyDeleteदी बहुत बहुत आभार आपका आपके आशीर्वाद से रचना मुखरित हुई।
Deleteसादर ।
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteचंदा रोज़-रोज़ चमकता तो उसकी इतनी क़दर कहाँ होती?
जी सही कहा आपने आदरणीय , बस कवि मन कुछ भी कह लेता है।
Deleteसादर आभार आपका।
वाह!!!
ReplyDeleteप्रकृति की सुन्दरता आपके सृजन में और भी मुखरित हो जाती है
अब कुण्डलिया छन्द में इतना मोहक सृजन
बहुत बहुत लाजवाब।
सुधा जी आपकी आत्मीयतापूर्ण प्रतिक्रिया से मुझे सदा नव ऊर्जा मिलती है।
Deleteढेर सा स्नेह आभार।
सस्नेह।
वाह वाह ।बहुत सुंदर चाँदनी जैसी चमक और किरन बिखेरती रचना।बहुत बधाई कुसुम जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत सा आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी मोहक प्रतिक्रिया से चाँद कुछ और चमकीला हो गया ।
Deleteढेर सा स्नेह आभार।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आलोक जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
रजनी के अप्रतिम सौन्दर्य में न जाने कितने चाँद को टाँका है आपने । बारंबार पठनीय । अति अति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका अमृता जी।
Deleteआपने तो चाँद पर भी सराहना के चाँद टाँक दिए, रचना को नव गति मिली ।
सस्नेह ।
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
घनैरा स्नेह आभार।
ReplyDeleteसस्नेह प्रिय अनिता।