Monday, 23 August 2021

रजनी


 रजनी


चंदा चमका भाल पर,रजनी शोभित आज।

पूनम के आलोक में,मुख पर लाली लाज।।

मुख पर लाली लाज,चुनर है तारों वाली।

लगे सलौनी रात,कहें क्यों उसको काली।

कुसुम कहे मन भाव, जगत का कैसा फंदा।

क्यों पखवारा एक, चमकता सुंदर चंदा।।


कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'

25 comments:

  1. वाह , आपको तो कुंडलियां छंद में महारथ हासिल है ।।बहुत सुंदर ।

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    1. सादर आभार आपका संगीता जी।
      आपको कु0 पसंद आई लेखन सफल हुआ। मैंने तीन साल पहले से छंदबद्ध लेखन शुरू किया था और पहला छंद कुंडियाँ ही लिखना सीखा था। कितना कामयाब रहा लेखन ये तो आप लोगों जैसे प्रबुद्ध ही बता सकते हैं, पर छंद लेखन के लिए मैं गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी की आजन्म ऋणी रहूंगी उन्हीं के दिशा निर्देश में छंदों और नवगीत का सफर रहा है मेरा,कु0 छंद में 100 कु0 के साथ एकल संग्रह प्रकाशित हुआ है जो मेरा पहला संग्रह था।
      सदा स्नेह बनाए रखें ।
      सादर सस्नेह।

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  2. वाह!बहुत खूब! छन्दबद्ध विधा में आप लाजवाब हैं। बहुत खूबसूरत सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी लेखन के सफर में आप सब का अतुल्य स्नेह ही मेरा संबल है।
      आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 24 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आपका।
      मुखरित मौन पर रचना को देखना सुखद एहसास है।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  4. वाह ... कितने सुन्दर भाव से पिरोया है चंदा को ...
    सुन्दर सृजन ...

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर।

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  5. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच   "विज्ञापन में नारी?"  (चर्चा अंक 4167)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय, चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए ये सदा सुखद एहसास होता है
      मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  6. उत्कृष्ट सृजन 👌👌

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    1. दी बहुत बहुत आभार आपका आपके आशीर्वाद से रचना मुखरित हुई।
      सादर ।

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  7. बहुत सुन्दर !
    चंदा रोज़-रोज़ चमकता तो उसकी इतनी क़दर कहाँ होती?

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    1. जी सही कहा आपने आदरणीय , बस कवि मन कुछ भी कह लेता है।
      सादर आभार आपका।

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  8. वाह!!!
    प्रकृति की सुन्दरता आपके सृजन में और भी मुखरित हो जाती है
    अब कुण्डलिया छन्द में इतना मोहक सृजन
    बहुत बहुत लाजवाब।

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    1. सुधा जी आपकी आत्मीयतापूर्ण प्रतिक्रिया से मुझे सदा नव ऊर्जा मिलती है।
      ढेर सा स्नेह आभार।
      सस्नेह।

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  9. वाह वाह ।बहुत सुंदर चाँदनी जैसी चमक और किरन बिखेरती रचना।बहुत बधाई कुसुम जी।

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    1. बहुत बहुत सा आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी मोहक प्रतिक्रिया से चाँद कुछ और चमकीला हो गया ।
      ढेर सा स्नेह आभार।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सादर।

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  11. रजनी के अप्रतिम सौन्दर्य में न जाने कितने चाँद को टाँका है आपने । बारंबार पठनीय । अति अति सुन्दर सृजन ।

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    1. सस्नेह आभार आपका अमृता जी।
      आपने तो चाँद पर भी सराहना के चाँद टाँक दिए, रचना को नव गति मिली ।
      सस्नेह ।

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  12. वाह!बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  13. घनैरा स्नेह आभार।
    सस्नेह प्रिय अनिता।

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